भ्रमणकाल!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भ्रमणकाल:The infinite time period of mobility (transmigration) of soul. संसार परिभ्रमण का काल जो अनंत है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भ्रमणकाल:The infinite time period of mobility (transmigration) of soul. संसार परिभ्रमण का काल जो अनंत है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति अघाती – Prakrti Aghati. A type of karmic nature. कर्म प्रक्रति का एक भेद; जो प्रतिजिवी गुणों का घात करती हैं वह अघाती कर्म प्रक्रतियां कहलाती हैं “
गुणभद्र Name of Acharyas, disciple of Acharya Jinsen (II) etc. आचार्य जिनसेन द्वितीय के शिष्य ई. ८७०-९१० उत्तरपुरंज आदि के करता इस नाम के और भी कुछ आचार्य हुए ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगोपभोग:Enjoyment of worldly pleasures. जो वस्तु एक बार भोगने में आये वह भोग (भोजन इत्यादि) एवं जो बार बार भोगने में आये वह उपभोग (शय्या इत्यादि) कहलाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवेचन – Vivechana. Thorough investigation, Meaningful description or exposition of treatise. कथन, व्याख्यान, वर्णन, शास्त्रों के कथन करने की पध्दति का कथन करना “
गौरीविद्या A super knowledge, initiator of Gaurik Vidyadhar dynasty. एक विद्या; जिससे गौरिक विद्याधर वंश की उत्पत्ति हुई ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगंकरा:A female deity of Gajdant summit. गजदन्त कूट की एक देवी का नाम “
त्रिकाल वंदना Act of paying reverence three times a day. पूर्वाह्न, मध्याह्न, व अपराह्न , में की जाने वाली सामायिक। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विश्वभूषण – Vishvabhushana. Name of a Digambar saint, the composer of ‘Bhaktamar charit’ & ‘lndradhvaj Vidhan’ in Sanskrit. भक्तामर चरित एवं संस्क्रत इंद्रध्वज विधान के रचियता एक दिगम्बर साधु “
गद्यचिंतामणि A book written by Acharya Vadeebh singh. आचार्य वादीभसिंह ओइय देव (ई. ७७०-८६०) द्वारा रचित एक ग्रंथ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]