प्रत्यावली!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यावली- आवली के ऊपर की जो दूसरी आवली है वह प्रत्यावली है। pratyavali – a time unit (reg. avali.)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यावली- आवली के ऊपर की जो दूसरी आवली है वह प्रत्यावली है। pratyavali – a time unit (reg. avali.)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोदेव – यषास्तिलकचम्पू के कत्र्ता सोमदेव के दादा गूरू और नेमिदेव के गुरू। समय ई – 918 – 943। Yasodeva-The writer of Yashastilakchampu
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहवृत्ति – Sahavritti. Tendency of co-asociation or co-association or co-inclination. समवृत्ति अर्थात् गुण और गुणी का साथ-साथ रहना अर्थात् उनका कथंचित् एकत्व -तादात्म्य सम्बंध ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राग लोकेषणा – षुभ कर्मो से पुण्य की चाह। Ragalokesana- longing for virtuous life by auspicious karmas
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोम – शरीर के समस्त छिद्रो मे स्थित सूक्ष्म बाल।आदारिक षरीर में रोमो का प्रमाण 80,000,00 करोड है। Roma-Small hair in the pores in the body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रात्यकारी इन्द्रियाँ- जो इन्द्रियां पदार्थ को स्पृश्ट और बद्ध होकर जानती है वह प्राप्यकारी कहलाती है। जैसे-स्पर्षन, रसना, ध्राण एवं श्रोत्र इन्द्रियाँ। मात्र चक्षु इन्द्रिय आप्राप्यकारी होती है। PrapyakariIndriyan- Senses causing cognizance with actual experience concerning the particular subject
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योषित – स्त्री, चक्रवर्ती के 14 रत्नो में एक रत्न। Yosita-A women one of the 14th Jewels of Chakravarti
ऊमर One of the figs – a fruit, not edible according to Jain philosophy . उदम्बर फलों में एक फल का नाम इनमें त्रस जीवों की योनिस्थान होने से अभक्ष्य हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणापान पर्याप्ति- छह पर्याप्तियों में एक पर्याप्ति इसे श्वासोच्छ्वास भी कहते है। PranapanaParyapti- Breathing vitality
द्रोणाचार्य The teacher of ‘Kauravas’ and ‘Pandavas’ and the father of ‘Ashvatthama’. कौरवों तथा पाण्डवों के गुरू तथा अश्वत्थामा के पिता। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]