दानांतराय कर्म प्रकृति!
दानांतराय कर्म प्रकृति An obscurring Karmic nature in the activity of donation. अंतराय कर्म का एक भेद वह कर्म प्रकृति जिसके उदय से कोई दान देना चाहे, परन्तु दे न सके। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दानांतराय कर्म प्रकृति An obscurring Karmic nature in the activity of donation. अंतराय कर्म का एक भेद वह कर्म प्रकृति जिसके उदय से कोई दान देना चाहे, परन्तु दे न सके। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ काययोग – Shubha Kaayayoga. Bodily virtuous activities. पूजा भक्ति, व्रतादि रूप काय की चेष्टा “
घोषसेन Initiation spiritual teacher of the 7th Narayan (reg. past birth). ७वें नारायण के पूर्व भाव दीक्षा गुरु का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दर्शनसार A book written by Acharya Devasen. आचार्य देवसेन (ई.133) द्वारा रचित एक ग्रन्थ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्थभुक्त A type of abandonment of food (fasting). दो उपवास; चार भोजन बेला का त्याग करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यलोकजिनालयव्रत – Madhyalokajinalayavrata. A type of Vow (fasting) to be observed for different 458 days related to the 458 natural temples of madhya lok (middle universe). इसमें मध्य लोक के 458 अकृत्रिम जिन मंदिरों के 458 व्रत करना होता हैं ” इनके मंत्र , पूजा एवं विधिको “व्रतविधिएवंपूजा” भाग 2 पुस्तक से लेना…
दिक्शुद्धि Directional purity, an activity of Jaina saints for Svadhyay. धवला आदि सिद्धान्त ग्रंथों के सवाध्याय हेतु की जाने वाली एक विशेष क्रिया पिछली रात्रि में वैरात्रिक स्वाध्याय के पश्चात् चारों दिशाओं में 27-27 श्वासोच्छ्वासपूर्वक 9-9 बार णमोकार मंत्र पढकर पौर्वाणिहक (प्रातःकालीन ) स्वाध्याय के पश्चात् अपरान्हिक स्वाध्याय हेतु 21-21 उच्छ्वासों में 7-7 बार चारों…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यम नक्षत्र – Madhyam Naksatra. Particular group of lunars. 30 मुहूर्त के नक्षत्रों को मध्यम नक्षत्र कहते हैं “
ग्राह्य-ग्राहक भाव Sentimentally acceptance of matters. भावेंद्रिया के द्वारा ग्रहण किए गए इन्द्रियों के विषयभूत पदार्थ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]