चारित्र औपशमिक!
चारित्र औपशमिक Conduct causing lack of passions, lusts, desires etc. चारित्रमोहनीय के उपशम से जो वीतराग भावरूप चारित्र हो ।।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चारित्र औपशमिक Conduct causing lack of passions, lusts, desires etc. चारित्रमोहनीय के उपशम से जो वीतराग भावरूप चारित्र हो ।।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समानता – Samaanataa. Similarity, Parity. एकरुपता। ऋजुसूत्र नय की दृष्टि मे कोई के समान नही है, क्योंकि देा को सर्वथा समान मान लेने पर, उन दोनो मे एकत्व की आपत्ति प्राप्त होती है।
तिर्यंच पंचेन्द्रिय All animals (except human beings) having 5 sense-organs. मनुष्य को छोडकर पांच इंन्द्रियों वाले समस्त पशु पक्षी इत्यादि जीव। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
घ्नत A process of multiplication, Killed-one. गुणित, अभ्यस्त , घ्नत, हत सब एकार्थवाची हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्तव -Stava. Hymning or praising (of 24 Tirthankaras, Jaina-Lords).24 तीर्थकरो के गुणो का कीर्तन करना स्तव कहलाता है। इसे स्तवन या स्तुति भी कहते है।
तिथि Traditional date, Date of a lunar or solar month. भारतीय परम्परा में अनादिकाल से प्रचलित प्रत्यके माह के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की तिथियाँ जो तिथि तीन मुहूर्त या छः घड़ी उदय में हो उसको मानना चाहिए। हर एक तिथि का प्रमाण 54 घड़ी से 65 घड़ी तक या कुछ कम 66 घड़ी का होता…
चालन A divine medicine. एक दिव्या औषधि ; इससे बंधे हुए कोटाकोटी स्थिति बंध वाले कर्मा चालिसिय कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समवायांग – Samavaayaanga. The 4th part in all 12 parts of Shrut (early canons). द्वादषंग श्रुत का चैथा अंगः इसमे द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा समानता का कथन है अर्थात् जिसमे पदार्थों की समानता के आघार पर समवाय का विचार किया गया है वह समवायांग है। इसमें एक लाख 64 हजार पद है।
तर्जित An infraction in paying reverence to Acharyas. वंदना का एक अतिचार तर्जनी अंगुली के द्वारा अन्य साधुओं को भय दिखाते हुए अथवा आचार्य आदि से स्वयं तार्जित होकर वंदनादि करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चलप्रदेश Some of the space points of soul . जीव के ८ मध्यप्रदेशों को छोड़कर बाक़ी के प्रदेश ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]