प्रविचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रविचार- मैथुन के उपसेवन को प्रविचार कहते है। Pravicara- Sexual enjoyment
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रविचार- मैथुन के उपसेवन को प्रविचार कहते है। Pravicara- Sexual enjoyment
गारूडी विद्या Knowledge which removes the venomous effect by incantation. सर्प के विष को दूर करने वाली विद्या।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यभिज्ञान- pratyabhijnana Recognition वह यही है इस प्रकार के स्मरण को प्रत्यभिज्ञान कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतीकार- pratikara Retaliation, retribution, revenge, counter action. प्रतिरोध या विरोध करना।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव प्राण – Bhava Prana. Psychical vitalities. सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित को भाव प्राण कहा है ” अथवा आत्मा की जिस शक्ति से इंद्रिय आदि अपने कार्य में प्रवर्तन करें “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान अप्रमत्त – Svasthaana Apramatta. The first phase of the 7th spiritual stage of development-unstable stage of meditation. सतवे गुणस्थान के दो भेदो मे प्रथम भेद। जब तक चारित्रमोहनीय की 21 प्रकृतियो के उपषमन तथा क्षपण के कार्य का प्रारम्भ नही होता, किन्तु संज्वलन के मंदोदय के कारण प्रमाद भी नही होता, केवल सामान्य…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णरेखा – Svarnarekhaa. A line of gold originated from Girnar mountain of Saurashtra. सौराष्ट्र देश मे गिरनार पर्वत से निकली है। इसके रेत मे सोने का सूक्ष्म अंष अब भी पाया जाता है। यह सुवरणा नाम से प्रसिद्वि है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैलभद्र – Shailabhadra. A kind of peripatetic deity. यक्ष जाति के व्यंतर देवों का एक भेद “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरुपाभाव – Svaruupabhaava. Absence of similarity in nature between the two of lack of the characteristic nature of a matter in the other. जो द्रव्य है वह गुण नही है वह द्रव्य नही है अर्थात् एक दूसरे मे जो उसका अभाव अर्थात् तदूप होने का अभाव है वह तद्भाव लक्षण अतद्वाव है।