प्रकृति सत्त्व योग्य!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सत्त्व योग्य – Prakrti Sattva yogya. Karmic nature capable of remaining in exist-ence. सत्ता योग्य कर्म प्रक्रतियां जो १४६ हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सत्त्व योग्य – Prakrti Sattva yogya. Karmic nature capable of remaining in exist-ence. सत्ता योग्य कर्म प्रक्रतियां जो १४६ हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनिद्रा – Panchanidraa. Five kinds of obscuring Karmas in gaining right perception. दर्शनावरणीय कर्म के 9 भेदों में 5 भेद; निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धि “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्पुरुष : == दट्ठूण अण्णदोसं, सप्पुरिसो लज्जिओ सयं होइ। —भगवती आराधना : ३७२ सत्पुरुष दूसरे के दोष देखकर स्वयं में लज्जा का अनुभव करता है। (वह कभी उन्हें अपने मुंह से नहीं कह पाता)।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्तु – Vastu.: A typr of scriptural knowledge (Shrutgyan),Substance, Matter,Object. श्रुतज्ञान के बीस भेदों में 17वां भेद ” सत्ता,सत्व ,द्रव्य ,वस्तु आदि एकार्थवाची हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगसंबंध – Sanyoga Sambandha. A synthetical relation. पृथक् सिद्ध पदार्थों के मेल को संयोग संबंध कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसंतभद्र व्रत – Vasantabhadra Vrata.: A specified and procedural fasting. एक व्रत ” इसमें क्रमशः 5,6,7,8,9 इस प्रकार 25 उपवास और बीच के स्थानों में एक – एक पारणा की जाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूति – Bhuti. Name of the 24th chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान वृषभदेव के ८४ गणधरों में २४ वें गणधर का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्षा ऋतु – Varshaa Ritu.: Rainy season. 6 ऋतुओं में एक ऋतु ; बरसात का समय इसमें साधु वर्षायोग या चातुर्मास धारण करते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्तमान काल – Vartmaana Kaal.: Period of present time. चल रहा समय, विविक्षित पर्याय के प्रारंभ से अंत होने तक का काल ” यह दो प्रकार के है – सूक्ष्म – एक समयमात्र ,स्थूल – अंतर्मुहूर्त से लेकर संख्यात वर्ष तक “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भागचंद – Bhagachanda. Name of a Pandit who wrote Mahavirashtak Stotra and many other books. महावीरष्ठक स्तोत्र, अमितगती श्रावकाचार वचनिका आदि ग्रंथो के कर्ता एक पंडित “