निचैर्वृत्त्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निचैर्वृत्त्ति – Nichairvritti. Politeness, Meekness. नम्र वृत्ति, नम्रता” जो गुणों में उत्कृष्ट है उनके प्रति विनय अथवा नम्रता से रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निचैर्वृत्त्ति – Nichairvritti. Politeness, Meekness. नम्र वृत्ति, नम्रता” जो गुणों में उत्कृष्ट है उनके प्रति विनय अथवा नम्रता से रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिव – Shiva. Name of the 13th Tirthankar (Jain-Lord) of past time, Name of a door of samavsharam(assembly of lord). भूतकालीन तेरहवें तीर्थंकर, समवशरण के तीसरे कोट के दक्षिण द्वार का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भग्नघट श्रोता – Bhgnaghata Srota. A type of false listener. अपात्र श्रोता का एक भेद; फूटे घड़े की तरह होना जिसमें उपदेश नहीं ठहरता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन प्रत्याख्यान – Vachan Pratyaakhyaana.: Utterance for not repeating something wrong. प्रत्याख्यान (त्याग) का एक भेद; में भविष्य में अपने व्रतों में अतिचार नहीं लगाऊंगा ऐसा बोलना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्प्राण – Nishpraana. Lifeless. निर्जीव अर्थात् जिसमें प्राण न हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वक्ता –Vaktaa: Orator , Speaker , Instructor ,One well –versed in scriptures . शास्त्रों का व्याख्याता ;सर्वज्ञ तीर्थंकर केवली .श्रुतकेवली और आरातीय आचार्य वक्ता के तीन भेद हैं ” सामान्य रूप से किसी भी भाषण करने वाले को भी वक्ता कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुवनकीर्ति – Bhuvanakirti. Disciple of Acharya Sakalkirti and preceptor of Gyanbhushan. नन्दिसंघ बलात्कार गण में आचार्य सकलकीर्ति के शिष्य व ज्ञानभूषण के गुरु (ई. १४४२-१४६८) “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मैथिलीकल्याणम–Maithilikalyanam. Name of a book related to Ram & Sita. सीता–राम प्रेम नाटक विषयक एक ग्रंथ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वंदनमाला –Vandanmaalaa.: An auspicious article,garland of flowers(to be hung at a door). लौकिक मंगलों में एक मंगल :24 तीर्थंकर वन्दनीय होते हैं ,इसलिए भरत चक्रवर्ती ने 24 कलियों वाली वंदनमाला मुख्य दरवाजे पर लगवाई थी “वर्तमान में भी मंदिरों के दरवाजों पर वंदनमाला लगाने की परम्परा है “