प्रतिसेवना काल!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिसेवना काल- pratisevana kala period or repentance of faults व्रतादिकों में अतिचार लगने पर प्रायषिचत से शुद्धि करने के लिये कुछ दिन अनषनादि तप करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिसेवना काल- pratisevana kala period or repentance of faults व्रतादिकों में अतिचार लगने पर प्रायषिचत से शुद्धि करने के लिये कुछ दिन अनषनादि तप करना।
गगनचरी A city in the south of vijayardh mountain, Those who move in the sky. विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी का एक नगर , आकाश में गमन करने वाले विद्याधर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथाख्यात संयम–Yathakhyata Sanyam. Revelation of absolute conduct. वीतराग संयम जो मोहनी कर्म के उपशांत या क्षय हो जाने पर प्रगट होता है”
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्ववृत्ति – Svavrtti. Contemplatlion about self. आत्मा मे प्रवृत्ति रुप ध्यान अर्थात् बाह्म चिंताओ से निवृत्ति होना।
गन्धर्वपुर A city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध पर्वत की उतार श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैला – Shailaa. Name of the 16th earth of the Khar division of Ratanaprabha earth. पहली रत्नप्रभा पृथ्वी के खारभाग में 16वीं पृथ्वी जो 1000योजन मोटी है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ण – Svarna. Gold, name of a city in the south of Vijayardh mountain. सोना, एक धातु, विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर।
गंधमादन(पर्वत) Name of a Gajdant mountain. सुमेरू पावत की चारों दिशाओं में स्थित गजदन्त पर्वतों में से एक । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर नाम कर्म – Svara Naama Karma. Physique making Karmic nature causing voice. जिस कर्म के उदय से मनोज्ञ स्वर की रचना होती है वह सुस्वर नामकर्म है, इससे विपरीत दुःस्वर नामकर्म है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक्त्व : == स्थैर्यं प्रभावना भक्ति: कौशलं जिनशासने। तीर्थसेवा च पंचापि, भूषणानि प्रचक्षते।। —योगशास्त्र : २-१६ धर्म में स्थिरता, धर्म की प्रभावना—व्याख्यानादि द्वारा, जिनशासन की भक्ति, कुशलता—अज्ञानियों को धर्म समझाने में निपुणता, चार तीर्थ की सेवा—ये पांच सम्यक्त्व के भूषण हैं। सम्यक्त्वरहिता ननु, सुष्ठु अपि उग्रं तप: चरन्त:…