गलितावशेष!
गलितावशेष Decaying of remainders. गुणश्रेणी आयाम के द्वितीयादी समयों में गुणश्रेणी आयाम क्रम से एक एक निषेक की घटती होना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गलितावशेष Decaying of remainders. गुणश्रेणी आयाम के द्वितीयादी समयों में गुणश्रेणी आयाम क्रम से एक एक निषेक की घटती होना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशद प्रतिभास – Visada Pratibhasa. Right conception of soul. ज्ञानावरण कर्म क्षय से अथवा क्षयोपशम से उत्पन्न होने वाली और शब्द तथा अनुमानदि (परोक्ष) प्रमाणों से नहीं हो सकने वाली जो अनुभव सिध्द निर्मलता है वही विशद प्रतिभास है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावस्तवन – Bhavastavana. Eulogical praising of Lord Jinendra. जिनेन्द्र भगवान के गुणों का स्मरण करना “
”गर्हित वचन” Despised speech, Contemptible or ignoble words. कर्कश-वचन, निष्ठुर भाषण, पैशुन्य वचन आदि ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्ववर्ती – Poorvavartee. Foregoing, preceding, predecessor. पहले पाया जाने वाला “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदारण क्रिया – Vidarana Kriya. Exposing others’ sinful activities. साम्परायिक आस्रव की १८ वीं क्रिया ” दुसरे ने जो सावध कार्य किया हो उसे प्रकाशित करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वगत – Poorvgata. A part (5th) of scriptural knowledge (Shrutgyan). श्रुतज्ञान के 12 वें दृष्टिवाद अंग का 5 वां भेद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मचर्य प्रतिमा – Brahmacarya.Pratima. Seventh model stage of celibacy of Jaina lay- follower. श्रावक की सातवीं प्रतिमा; इसमें श्रावक स्त्रीमात्र का त्याग होकर पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहता है ” इसका धारक श्रावक अपने पुत्र – पुत्रियों के विवाह के अतिरिक्त अन्य किसी के विवाह की अनुमोदना नहीं करता है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सूक्ष्म कषाय : == कौसुम्भ: यथा राग:, अभ्यन्तरत: च सूक्ष्मरक्त: च। एवं सूक्ष्मसराग:, सूक्ष्मकषाय इति ज्ञातव्य:।। —समणसुत्त : ५५९ कुसुम्भ के हल्के रंग की तरह जिनके अन्तरंग में केवल सूक्ष्म राग शेष रह गया है, उन मुनियों को सूक्ष्म—सराग या सूक्ष्म—कषाय जानना चाहिए।