चौदह धारा (त्रिलोकसार ग्रंथ के आधार से) प्रस्तुति – गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी व्यवहार काल के अन्तर्गत कुछ विशेष संख्याएँ आर्यखण्ड में नाना भेदों से संयुक्त जो काल प्रवर्तता है, उसके स्वरूप का वर्णन करते हैं। कालद्रव्य अनादिनिधन है, वर्तना उसका लक्षण माना गया है-जो द्रव्यों की पर्यायों को बदलने मे सहायक हो, उसे वर्तना…
जैन पुरातत्व और मूर्तिकला डॉ. भागचन्द्र जैन भास्कर, सदर नागपुर (महा.) पुरातत्त्व प्राचीन तत्त्वों का आंकलन है जो भूगर्भ से प्राप्त होते हैं या शिलालेखों, ताम्रपत्रों आदि पर रहते हैंं। साहित्यिक प्रमाणों के समर्थन में पुरातत्त्व की अहम् भूमिका रहती हैं। परम्परा, इतिहास, संस्कृति, मूर्तिकला, स्थापत्य आदि क्षेत्रों की यथार्थता के अन्वेषण से सम्बद्ध…
जिनालय, जिनदर्शन विधि एवं दर्शनपाठ( प्रश्नोत्तरी ) प्रस्तुति- बाल ब्र० कु० बीना दीदी ( संघस्थ गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी) विषय परिचय इस पाठ में जिनालय क्या, जिनालय की स्थापना क्यों, छत्र, चंवर, शिखर, घंटानाद क्यों, प्रदक्षिणा क्यों आदि बातों का सटीक समाधान देते हुए, दर्शन करते समय परिणाम कैसे, देवदर्शन की विधि एवं संस्कृत दर्शन…
अकृत्रिम कमलों में जिनमंदिर कमलों में जिनमंदिर (तिलोयपण्णत्ति से) दहमज्झे अरिंवदयणालं बादालकोसमुव्विद्धं। इगिकोसं बादल्लं तस्स मुणालं ति रजदमयं१।।१६६७।। को ४२, बा को १। कंदो यदिट्ठरयणं णालो वेरुलियरयणणिम्मविदो। तस्सुविंर दरवियसियपउमं चउकोसमुव्विद्धं।।१६६८।। को ४। चउकोसरुंदमज्झं अंते दोकोसमहव चउकोसा। पत्तेक्वकं इगिकोसं उस्सेहायामकण्णिया तस्स।।१६६९।। को ४ । २ । को ४ । को १ । अहवा दोहो कोसा…
त्रिलोक भास्कर -गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी जिनवाणी के करणानुयोग विभाग में जैन भूगोल की जानकारी आती है । इस विषय से जुड़े हुए कुछ प्रश्न प्रस्तुत है । जैन भूगोल अतिप्राचीन होने से उसमें कथित परिमाणों (जैसे हाथ, गज, योजन, कोस) को आज के परिमाण के सम्बन्ध से समझ लेना चाहिए । प्रश्नोत्तर प्रस्तुतकर्ता –…
[[श्रेणी:सूक्तियां]] ==अमृत मंथन== १. यस्य स्वयं स्वाभावाप्ति रभावे कृत्स्नकर्मण: तस्मै संज्ञानरूपाय नमोस्तु परमात्मने।। इष्टोपदेश १ मैं अनन्त ज्ञान स्वरूप परमात्मा को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने समस्त कर्मों का नाश हो जाने पर स्वयं अपने शुद्ध स्वरूप को प्राप्त किया है। २. एहु जु अप्पा सो परमप्पा कमविसेस जायउ जप्पा जामइं जाणइ अप्पे अप्पा तामइं सो…