मौर्य सम्राट् चन्द्रगुप्त चन्द्रगुप्त का कुल— चन्द्रगुप्त के पूर्वजों के विषय में मतभेद है। हिन्दू ग्रंथों में चन्द्रगुप्त को मगध के नन्दवंश से सम्बन्धित बतलाया गया है। मुद्राराक्षस में उन्हें न केवल मौर्यपुत्र वरन् नन्दान्वय भी लिखा है।१ क्षेमेन्द्र तथा सोमदेच ने उसे पूर्वनन्द सुत कहा है। मुद्राराक्षस के आलोचक ढुण्ढिराज ने लिखा है कि…
द्रव्य और अस्तिकाय इस विधि से ये छह भेद रूप, जो द्रव्य कहे परमागम में। वे जीव अजीवों के प्रभेद, से ही माने जिनशासन में।। इनमें से कालद्रव्य वर्जित, जो पाँच द्रव्य रह जाते हैं। वे ही अर्हंतदेव भाषित, पंचास्तिकाय कहलाते हैं।।२३।। मूल में द्रव्य के जीव और अजीव ये दो ही भेद हैं। इसी…
निषधपर्वत के तिगिंछ सरोवर में तेरह कूट पउमद्दहाउ चउगुणरुंदप्पहुदी भवेदि दिव्वदहो। तीगिच्छो विक्खादो बहुमज्झे णिसहसेलस्स१।।१७६१।। वा २०००, आ ४०००, गा ४०, पउ ४२, संखा ५६०४६४, वा १, मु ३, प ४, मज्झि ४, अं ४ वा २। तद्दहपउमस्सोवरि पासादे चेट्ठदे य धिदिदेवी। बहुपरिवारेहिं जुदा णिरुवमलावण्णसंपुण्णा।।१७६२।। इगिपल्लपमाणाऊ णाणाविहरयणभूसियसरीरा। अइरम्मा वेंतरिया सोहम्मिंदस्स सा देवी।।१७६३।। जेत्तियमेत्ता तस्सिं पउमगिहा…
निजात्माष्टकाम् (णियप्पट्ठगं) छठवीं शताब्दी ई० के महान् अध्यात्मवेत्ता सन्त आचार्य योगीन्द्रदेव ‘अपभ्रंश भाषा के कवि’ के रूप में जाने जाते हैं, किन्तु वे संस्कृत एवं प्राकृत भाषाओं में भी काव्य-रचना करते थे। उनकी यशस्वी संस्कृतरचना ‘अमृताशीति’ तो प्रकाशित हो चुकी है तथा अद्यावधि अप्रकाशित ‘स्रग्धरा’ छन्दोबद्ध प्राकृत-रचना ‘निजात्माष्टाम् ’ की कन्नड टीका-सहित प्रति कर्नाटक के…
सोलह स्वर्गों के देवियों की आयु मूलाचार ग्रंथ में देवियों की आयु में दो मत आने से टीकाकार ने बहुत ही सुन्दर समाधान किया है। यथा— सौधर्मादिदेवीनां परमायुषः प्रमाणं प्रतिपादयन्नाह—पंचादी वेिंह जुदा सत्तवीसा य पल्ल देवीणं।तत्तो सत्तुत्तरिया जावदु अरणप्पयं कप्पंमूलाचार (भाग-२ पृ. २६८-२६९ गाथा-११२२-११२३।।।११२२।। पंचादी — पंच आदि पंच आदि पंचपल्योपमानि मूलं, वेहि जुदा—द्वाभ्या युक्तानि…
धन दौलत में नहीं, परिश्रम व सृजन में ही निहित है वास्तविक प्रसन्नता हम सब अपने जीवन को अपार खुशियों से भरना चाहते हैं। इसके लिए खुशहाली व समृद्धि की कामना करते हैं। खुशहाल होने के लिए जी तोड़ परिश्रम भी करते हैं। समृद्धि पाने के लिए कई बार हम अपने स्वास्थ्य से भी समझौता…
जीवन सुखी रखने के लिए कुछ खास बातें मनुष्य के पास दिल तो होता है, पर दिल होना तभी सार्थक है, जब उस दिल में दया के भाव हों । बिना दया वाला न तो दिल है न ही दिल वाला मनुष्य मनुष्यता लिए हुए। यदि आप चाहते है कि आपका जीवन सुखी रहे तो…