नारी ! बनो सदाचारी
नारी बनो सदाचारी आर्यिका १०५ विशुद्धमती माताजी (समाधिस्थ) शिष्या—आचार्य श्री शिवसागर जी महाराज पीछे मुड़कर देखो ! पहले आपका देश कैसा था ? इस आर्यक्षेत्र में तीर्थंकरों की दिव्य—देशना का अजस्र प्रवाह प्रत्यक्ष या परोक्ष में अनादिकाल से गतिमान है। पूर्व काल में इस देशना का बहाव निर्बाध था, क्योंकि उस समय नर—नारियों का आचरण…