जैन मुनि स्तोत्र
जैन मुनि स्तोत्र (सौधर्मादि से ग्रैवेयक तक प्राप्त हुये मुनि स्तोत्र) रोला छंद ऋषभदेव के शिष्य, तीन हजार सु इक सौ। सौधर्मादिक स्वर्ग, प्राप्त किया मुनिपद सों।। वंदूं शीश नमाय सब दुख शोक नशाऊँ। आतम निधि को पाय, पेर न भव में आऊँ।।१।। अजितनाथ के शिष्य, उनतिस सौ गुणधारी। सौधर्मादिक स्वर्ग, प्राप्त किया सुखकारी।।वंदूं.।।२।। संभव...