जैन साधु स्तोत्र
जैन साधु स्तोत्र (तीर्थप्रवर्तनकाल साधु स्तोत्र)नरेन्द्र छंद तीर्थंकरों के धर्म प्रवर्तन काल धर्म बरसे है। केवलज्ञानी मुनी आर्यिका होते ही रहते हैं।। तीर्थ प्रवर्तन काल मैं नमूं ऋषि मुनिगण को वंदूं। मन वच तन से वंदन करके सर्व दुखों को खंडूं।।१।। गीता छंद सागर पचास सुलाख कोटी, तथा इक पूर्वांग है। पुरुदेव जिनका तीर्थ वर्तन...