सांसारिक सुख!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक सुख – Saansaarika Sukha. Worldly sensual pleasures. लौकिक या इन्द्रियजन्य सुख। यह सारा इन्द्रिय विषयक माना जाता है इसलिए यह केवल सुखाभास ही नही, किन्तु निःसंदेह दुखरुप ही हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक सुख – Saansaarika Sukha. Worldly sensual pleasures. लौकिक या इन्द्रियजन्य सुख। यह सारा इन्द्रिय विषयक माना जाता है इसलिए यह केवल सुखाभास ही नही, किन्तु निःसंदेह दुखरुप ही हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहानवस्था विरोध – Sahaanvasthaa Virodha. Mutual opposition in the different states of a matter. विरोध के तीन भेदों में एक भेद । यह विरोध एक वस्तु की क्रम से होने वाली दो प्र्यायों में होता है। नयी पर्याय उत्पन्न होती है तो पूर्व पर्याय नष्ट हो जाती है।
दिगम्बर प्रतिमा Idol of Lord Arihant and Siddha with natural appearance. अरहंत सिद्ध की घ्यानमई नग्न मूर्ति ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रबंधनकाल- बंधते अर्थात एकत्व को प्राप्त होते हैं जिसमें उसे प्रबंधन कहते हैं प्रबंधन प्रबन्णन रुप जो काल है ह प्रबन्णनकाल कहलाता है। prabamdhanakala – period of organisation (organising)
दृष्टि View, Sight, Vision. दर्शन, देखने की वृत्ति, अवलोकन, चक्षु प्रकाश आदि।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचनसार टीका- प्रवचनसार ग्रंथ पर 1. आचार्य अमृतचन्द्र (ई. 905-955) कृत एक संस्कृत टीका “तवप्रदीपिका”, 2. आचार्य जयसेन ( ई. 11-12 अथवा 12-13) कृत “तात्पर्यवृŸिा” संस्कृत टीका। PravacanasaraTika- A commentary book on ‘Pravachanasar’ written by acharyaAmritchandra
दूरस्पर्शत्व ऋद्धि A supernatural power of remote touching. बुद्धि ऋद्धि का एक प्रकार (स्पर्श से संबधित) जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को स्पर्शन इन्द्रिय से उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन की दूरी पर स्थित ठंडा गर्म आदि सभी प्रकार के स्पर्श को जान लेने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदक्षिणा वर्त- बाई ओर से दांई ओर घूमना, श्रद्धापूर्ण अभिवादन जो इस प्रका प्रदक्षिण द्वारा किया जाये। pradaksina varta – taking round of circumambulation.