नोकेवल!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकेवल – Nokevala. Nine kinds of destructional volitions. क्षायिक भाव; केवलदर्शन, केवलज्ञान, क्षायिकदान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व-चारित्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकेवल – Nokevala. Nine kinds of destructional volitions. क्षायिक भाव; केवलदर्शन, केवलज्ञान, क्षायिकदान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व-चारित्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंचय – विजयार्घ की दक्षिण श्रेणी एवं पष्चिम विदेह क्षंेत्र के नगर का नाम Ratnasancaya- Name of a city situated in Southern Vijayardh Mountain & city of western videh region
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == राग-द्वेष : == रत्तो बंधदि कम्मं, मुंचदि जीवो विरागसंपन्नो। —समयसार : १५३ जीव रागयुक्त होकर कर्म बांधता है और विरक्त होकर कर्मों से मुक्त होता है। असुहो मोह–पदोसो, सुहो व असुहो हवदि रागो। —प्रवचनसार : २-८८ मोह और द्वेष अशुभ ही होते हैं। राग शुभ और अशुभ, दोनों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रश्रृन्खला – Vajrashrankhalaa Name of the female demigod of Lord Abhinandannath, Name of a super power. भगवान अभिनन्दंननाथ की शासन देवी ,एक विद्या “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नैरन्तर्य – Nairantarya. Continuousness, Constancy. निरंतर होने का भाव, निबार्धता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नप्रभा – अघोलोक की प्रथम भूमि,रूढि का नाम घम्मा है। यह एक लाख 80 हजार योजन मोटी हैं। इसके तीन भाग है – खर भाग, पंक भाग अब्बहुल भाग। इसमे खर भाग पंक भाग में भवनवासी और व्यंतर देवो के भवन है। आंैर तीसरे भाग अब्बहुल में नारकियों के भवन है। Ratnaprabha- Name of…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रपंजरस्तोत्र –Vajrapanjra Stotra A protecting spiritual hymn. पंचपरमेष्ठी की स्तुति रूप एक रक्षा स्तोत्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिप्रभु – Nemiprabhu. Name of the 16th Tirthankar (jaina laord) situated in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र विद्यमान 20 तीर्थंकरों में 16 वें तीर्थंकर का नाम “