ब्रह्मोत्तर (स्वर्ग)!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मोत्तर (स्वर्ग) – Brahmottara (Svarga ). The sixth heaven. छठा स्वर्ग; इस कल्प में एक लाख ४ हजार विमान हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मोत्तर (स्वर्ग) – Brahmottara (Svarga ). The sixth heaven. छठा स्वर्ग; इस कल्प में एक लाख ४ हजार विमान हैं “
आभिनिबोध Sensory knowledge; knowledge obtained by mental capacity. मतिज्ञान का पर्यायवाची नाम इन्द्रिय ओर मन की सहायता से अभिमुख और नियमित पदार्थ का ज्ञान होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रकलश – Bhadrakalasa. Name of the treasurer of Ram’. ८ वें बलदेव श्रीराम के कोषाध्यक्ष “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलोत्तरप्रकृति–Mulottar Prakrati. Basic sub–karmic nature which are 148 in number. कर्मो की ज्ञानवरणादि 8मूलप्रकृति एवं इनके उत्तरभेद 148 मूलोत्तर प्रकृति कहलाती है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्मशान-भूमि – Shmashaana-Bhoomi. Cremantion ground, Burial place. शरीर के डाह संस्कार करने का स्थल, मरघट “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशस्त विहायोगति नाम कर्म प्रकृति- सुंदर चाल जिस कर्म के उदय से हो, जैसे- हंस हाथी की चाल। Prasasta Vihayagati nama karma Prakriti- Physique making karmas causing graceful walking style
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मनंदि पंचविंषतिका : A book written by Acharya Padmanandi. आचार्य पदमनन्दि (ई0 11 का उत्तरार्ध) द्वारा संस्कृत छंदों में रचित गृहस्थ धर्म प्ररूपक एक ग्रन्थ । इस ग्रंथ के स्वाध्याय से गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी को गृहस्थवस्था में अल्पआयु।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्युत्प्रभ – Vidyutprabha. One of the 4 Gajadant mountains, A city of vijayardh mountain. ४ गजदंत पर्वतों में एक गजदंत पर्वत, विजयार्ध पर्वत का एक नगर “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव गति – Vibhava Gati. Contrary movement. जीव – पुद्ग्ल की स्वभाव से विपरीत गति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवित्त चक्र- योग आदि क्रियाओं में रात-दिन लगे रहना। Pravita cakra- to be always engaged in yogic activities