आप्तमीमांसा वचनिका!
आप्तमीमांसा वचनिका Name of a treatise. जयचंद्र छाबड़ा कृत एक ग्रंथ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आप्तमीमांसा वचनिका Name of a treatise. जयचंद्र छाबड़ा कृत एक ग्रंथ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त द्रव्य शल्य – Sachitta Dravya Shalya. A type of material sting; servants etc. animate objects. द्रव्य शल्य के तीन भेदों में एक भेद; दास आदि सचित्त द्रव्य शल्य है “
इंद्र(नाम) Son of the king Sahasrar. राजा सहस्रार का पुत्र माली को मारकर इन्द्र के सदृश राज्य किया आगे रावण से युद्ध में हारकर दीक्षा ले निर्वाण प्राप्त किया।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त-विवृत्त – Sanvrtta-Vivrtta. A type of female genital organ with having some hidden & some opened portion. योनि के 9 भेदों में एक भेद; जो योनि स्थान कुछ ढका हुआ और कुछ खुला हुआ हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीधर – Shreedhara. Name of a great Acharya, the learned one in mathematics and Astrology, Name of a poet. गणित तथा ज्योतिष विद्या के विद्वान दिगम्ब्राचार्य ” गणितसार संग्रह, ज्योतिर्ज्ञानविधि, जातक तिलक, लीलावती (कन्नड़) के रचयिता (समय- ई. 799-865) ” एक अपभ्रंश कवि सुकुमाल चरिउ के रचियता (समय ई. 1151) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रावकाचार – Shraavakaachaara. Conduct of householders or lay followers. एकदेश चारित्र; 5 अणुव्रत, 3 गुणव्रत, 4 शिक्षाव्रत का पालन “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्यात् : == नियमनिषेधनशीलो निपातनाच्च य: खलु सिद्ध:। स स्याच्छब्दो भणित:, य: सापेक्षं प्रसाधयति।। —समणसुत्त : ७१५ जो सदा नियम का निषेध करता है और निपात रूप से सिद्ध है, उस शब्द को ‘स्यात्’ कहा गया है। यह वस्तु को सापेक्ष सिद्ध करता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रवण – Shravana. Name of the 80th planet and the 21st lunar. 88 ग्रहों में 80वां गृह, 28 नक्षत्रों में 21वां नक्षत्र जो मृंदगाकार है ” तीर्थंकर श्रेयांसनाथ व मुनिसुव्रतनाथ इसी नक्षत्र में जन्मे थे “