मय!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मय – Mya. Father’s name of Mandodari, A king of Yadav dynasty. मंदोदरीकेपिताकानाम , यदु (यादव) वंशकाएकराजा “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मय – Mya. Father’s name of Mandodari, A king of Yadav dynasty. मंदोदरीकेपिताकानाम , यदु (यादव) वंशकाएकराजा “
चाक्षुष Visible, which can be seen by eyes. आँखों से देखने योग्य ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समाधितंत्र – Samaadhitantra. Name of a treatise written by Acharya Pujyapad. आचार्य पूज्यपाद (ई.श. 5) कृत अध्यात विषयक 105 संस्कृत श्लोकों मे निबद्व ग्रंथ। अपरनाम समाधिषतक है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संघ : == संघो गुणसंघात:, संघश्च विमोचकश्चकर्मणाम्। दर्शनज्ञानचरित्राणि, संघातयन् भवेत् संघ:।। —समणसुत्त : २५ गुणों का समूह संघ है। संघ कर्मों का विमोचन करने वाला है। जो दर्शन, ज्ञान और चारित्र का संघात (रत्नत्रय की समन्विति) करता है, वह संघ है। कर्मरजजलौघविनिर्गतरस्य, श्रुतरत्नदीर्घनालस्य। पंचमहाव्रतस्थिरर्किणकस्स, गुणकेसरवत:।। श्रावकजन—मधुकर—परिवृतस्य, जिनसूर्यतेजोबुद्धस्य। संघपद्मस्य…
चितिशक्ति Power of consciousness. अजड़त्व अर्थात चेतनत्व स्वरुप चितिशक्ति है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् ज्ञान : == यथा यथा श्रुतमवगाहते, अतिशयरसप्रसरसंयुतमपूर्वम्। तथा तथा प्रह्लादते मुनि:, नवनवसंवेगश्रद्धाक:।। —समणसुत्त : २४७ जैसे—जैसे मुनि अतिशय रस के अतिरेक से युक्त अपूर्वश्रुत का अवगाहन करता है, वैसे—वैसे नित—नूतन वैराग्ययुक्त श्रद्धा से आह्लादित होता है। सूची यथा ससूत्रा, न नश्यति कचवरे पतिताऽपि। जीवोऽपि तथा ससूत्रो, न…
घोष A habitation of herdsmen, Outcry, Roar, Name of a celestial deity. अहीरों की बस्ती , शब्द का एक भेद , भवनवासी देवों के स्तनित कुमार जाति के प्रथम इन्द्र का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समरसी भाव – Samarasee Bhaava. Supreme temperament. घ्येय और घ्याता का एकीकरण समरसीभाव माना गया है। यही एकीकरण समाधिरुप ध्यान है।
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == धर्मचरण : == जरा यावत् न पीडयति, व्याधि: यावत् न वद्र्धते। यावदिन्द्रियाणि न हीयन्ते, तावत् धर्मं समाचरेत्।। —समणसुत्त : २९५ जब तक बुढ़ापा नहीं सताता, जब तक व्याधियां (रोगादि) नहीं बढ़ती और इन्द्रियाँ अशक्त अक्षम) नहीं हो जातीं, तब तक (यथाशक्ति) धर्माचरण कर लेना चाहिए क्योंकि बाद में अशक्त एवं असमर्थ…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथिवि – Prthivi. Sand, pebbles & stone, dust etc. inanimates are called as Prithivi. मार्ग में पड़ी धूलि, रत्न,पत्थर, कंकड़ आदि पृथिवि कहलाते हैं , जो अचेतन होते हैं “