योषा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योषा – स्त्री का एक पर्यायवाची नाम इसे युवती कहते हैैै। Yosa-Young women
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योषा – स्त्री का एक पर्यायवाची नाम इसे युवती कहते हैैै। Yosa-Young women
एकविध अवग्रह Single way apprehension. एक प्रकार के अथवा एक जाति के, एक या अनेक पदार्थों को जानना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तीर्थविहार Saints moving towards place of pilgrimages. मुनि, आचार्य आदि, साधुओं का तीर्थों के लिए गमन करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूपाल – Bhupala. Name of a king of Bharat Ksgetra (region). सुभौम चक्रवर्ती के तीसरे पूर्वभव का जीव जिसने युध्द में मानभंग होने से दीक्षा लेकर चक्रवर्ती पद का निदान किया था “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवाह क्रिया – Vivaha Kriya. An auspicious activity- marriage according to tradition. गर्भान्वय की ५३ क्रियाओं में १७ वीं क्रिया; सिध्द पूजन व तीन अप्रिय की विधिपूर्वक पूजन करते हुए, अगिन प्रदक्षिणा देते हुए परिवार व समाज की साक्षी में सजाति कुलीन कन्या का पाणिग्रहण करना “
तीर्थ Place of pilgrimage, auspicious means for the path of salvation. जो संसाररूपी सागर से तिराये अर्थात् पार करे उसे तीर्थ कहा गया है , इसका दो प्रकार से वर्णन है। 1. भावतीर्थ- सम्यग्दर्शन , सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र रूप परिणत आत्मा । 2. द्रव्य तीर्थ- तीर्थंकर भगवन्तों की पंचकल्याणक भूमियाँ, अन्य सिद्धक्षेत्र इत्यादि । जैसे –…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव निक्षेप – Bhava Niksepa. Appropriate establishment of meaning for something. निक्षेप का एक भेद; वर्तमान पर्याय से युक्त द्रव्य ” जैसे- सेवा करने वाले को सेवक कहना “
उपशम सम्यक्त्त्व Subsidential right belief, Subsidential serenity .दर्शन मोहनीय कर्म के उपशम से आत्मा में जो निर्मल श्रद्धान उत्पन्न होता है उसे उपशम सम्यक्त्त्व कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव अप्रतिक्रमण – Bhava Apratikramana. To have attachment with the past passionate volitions. अतीत काल में हुए रागादि भाव को वर्तमान में अच्छा जानना, उनका संस्कार एंव उनके प्रति ममत्व भाव रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वास्तुविधान – Vaastuvidhaana.: A special kind of worshipping to be observed specially on the completion of the construction of temple or home for its auspiciousness. मंदिर,मकान आदि की पूर्णता पर उसमें किया जाने वाला एक विशेष पूजा अनुष्ठान ,इसमें वास्तु-भवन के रक्षक देवताओं को आव्हान करके उन्हें संतुष्ट किया जाता है ताकि भवन में…