नाभिगिरी!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिगिरी – Nabhigiri Circular mountain at the center of Haimvata etc. areas भरत एरावत व विदेह छेत्र को छोड़कर शेष हेमवत आदि चार छेत्रों के मध्य भाग में गोल पर्वत ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिगिरी – Nabhigiri Circular mountain at the center of Haimvata etc. areas भरत एरावत व विदेह छेत्र को छोड़कर शेष हेमवत आदि चार छेत्रों के मध्य भाग में गोल पर्वत ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == ज्ञाता : == ण हु सासणभत्ती—मेत्तएण सिद्धंतजाणओ होइ। ण वि जाणओ वि णियमा, पण्णवणाणिच्छिओ णामं।। —सन्मति तर्क् प्रकरण : ३-२६ मात्र आगम की भक्ति के बल पर ही कोई सिद्धान्त का ज्ञाता नहीं हो सकता और हर कोई सिद्धान्त का ज्ञाता भी निश्चित रूप से प्ररूपणा करने के…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूरकीर्ति – Soorakeertee. Name of Bhattarak of Nandi group. न्ंदिसंघ बलात्कारगण वारां गद्दी के एक भट्टारक भावनंदि के शिष्य , विद्याचन्द्र के गुरू । समय वि0सं0 1167 ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंकप्रभा – Pankaprabhaa. That (4th) earth which has the colour of clay or mud. चतुर्थ नरक भूमि; जिसकी प्रभा कीचड़ के समान है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नग्न्य – Nagnya Image of a natural appearance (reg saint), na-kedness, it is an affliction of jaina saints. 22 परिषह में एक परिषह ; साधु द्वारा नग्न दिगम्बर रूप को धारण कर लज्जा एवं काम्विकर को जितना ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतपूर्व प्रज्ञापन नय – Bhutapurva Pragyanapana Naya. See- Bhutapurva Naya. देंखें – भूतपूर्व नय “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाजनांग जातीय कल्पवृक्ष – Bhajanamga Jatiya Kalpavrksa. A type of wish fulfilling trees (providing uten-sils). भोगभूमि में पाये जाने वाले १० कल्पवृक्षों में एक, यह कल्पवृक्ष सुवर्ण एंव बहुत से रत्नों से निमित धवल झारी, कलश, गागर आदि बर्तन प्रदान करने वाला होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिहितास्त्रव – Pihitasrava. Name of the father of Tirthankar (Jaina- Lord) Padmaprabh- Suparshvanath in past birth, Name of a Digambar Acharya. तीर्थंकर पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ के पूर्व भाव के पिता, एक दिगाम्बराचार्य “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विरोधी हिंसा – Virodhi Himsa. Violence for self defence. हिंसा के ४ भेदों में एक भेद; शत्रु से अपना बचाव करने के लिए जो हिंसा होती है, वह विरोधी हिंसा हैं “जैसे-राम ने रावण से युध्द करने में विरोधी हिंसा की “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मसाम्पराय संयम – Sukshmasaamparaaya Sanyama. Restraints with minute greediness. मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करते हुए सूक्ष्म लोभ का वेदन करना सूक्ष्मसांपराय संयम हैं और धारक महामुनि सूक्ष्मसांपराय संयत कहलाते है।