परंपरा मुक्ति!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा मुक्ति Salvation after one or two births.एक दो आदि भवों के अनंतर मुक्ति होना ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा मुक्ति Salvation after one or two births.एक दो आदि भवों के अनंतर मुक्ति होना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभ्य – Vibhya. An infraction of paying reverence (reverence due to influence of Acharya etc.). वंदना का एक अतिचार, आचार्य आदि के भय से वंदना करना “
चारित्राराधना A type of observance of right conduct. ४ आराधनाओं में एक भेद ; सम्यक् चारित्र को यथायोग्य रीति से दृढ़तापूर्वक धारण करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यग्दृष्टि – Samyagdrishti. One with right perception or faith. जो जीव सम्यग्दर्षन सहित हो।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मोक्ष—मार्ग : == दर्शनज्ञानचारित्राणि, मोक्षमार्ग इति सेवितव्यानि। साधुभिरिदं भणितं, तैस्तु बन्धो वा मोक्षो वा।। —समणसुत्त : १९३ जिनेन्द्र देव ने कहा है कि (सम्यक्) दर्शन, ज्ञान, चारित्र मोक्ष का मार्ग है। साधुओं को इनका आचरण करना चाहिए। यदि वे स्वाश्रित होते हैं तो इनसे मोक्ष होता है और…
छन्दोबिंदु A prosody written by Nagvarm. नामवर्ग (ई. सन् ९९०) द्वारा रचित एक छंदशास्त्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिभुवनचूडामणि Two Siddhayatana summits of Bhadrashal forest. भद्रशाल वन में स्थित दो सिद्धायतन कूट। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == नश्वरता : == जम्मं मरणेण समं, संपज्जइ जुव्वणं जरासहियं। लच्छी विणससहिया, इय सव्वं भंगुरं मुणह।। —कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ५ जन्म के साथ मरण, यौवन के साथ बुढ़ापा, लक्ष्मी के साथ विनाश निरंतर लगा हुआ है। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु को नश्वर समझना चाहिए
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैलघन श्रोता – Shailaghana Shrotaa. A type of unwise or imprudent listener. 14 प्रकार के श्रोताओं में एक भेद; जिनके परिणाम हमेशा कठोर रहते हैं तथा जिनके ह्रदय में समझाये जाने पर भी जिनवाणी रो जल का प्रवेश नहीं होता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पंर्धक – Spardhaka. Group of aggregates of karmic molecules.वर्गणाओ के समूह को स्पंर्धक कहते है।