संयम!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयम – Sanyama. Abstinence, Restraints, Mortification. व्रत समिति आदि रूप से प्रवर्तना अथवा विशुद्धात्मध्यान में प्रवर्तना संयम है ” 5 इन्द्रिय और मन का वशीकरण तथा षट्काय के जीवों की रक्षा करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयम – Sanyama. Abstinence, Restraints, Mortification. व्रत समिति आदि रूप से प्रवर्तना अथवा विशुद्धात्मध्यान में प्रवर्तना संयम है ” 5 इन्द्रिय और मन का वशीकरण तथा षट्काय के जीवों की रक्षा करना “
तोलामुलितेवर Name of an Acharya (writer of ‘Chulamani’). ई.श.7 से पूर्व के एक आचार्य जिन्होंने चूलामणि नामक ग्रंथ की रचना की । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक शुची –Laukika Shuchi.: Eight particular means of worldly purities. लोक व्यवहार शुद्धि –काल ,अग्रि,भस्म ,मृत्तिका ,गोबर ,पानी ,ज्ञान और निर्विचिकित्सा-ग्लानिरहितपना ये 8 प्रकार की वस्तुओं से व्यवहार में शुद्धि की जाती है “जैसे मिट्टी से हाथ धोना ,गोबर से जमीन लीप कर शुद्ध करना आदि “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख्य मंगल–Mukhya Mangal. Eulogical hymn of Lord Jinendra for auspiciousness. ज्ञानियो द्वारा शास्त्र के आदि; मध्य व अन्त में विघ्न निवारण के लिए किया जाने वाला जिनेन्द्र देव का गुणस्तवन”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनि प्रायश्चित (शास्त्र)–Muni Prayshchit (Shastra). Name of a treatise written by Acharya Indranandi. आचार्य इन्द्रनंदी (ई.श.10–11) की एक रचना; जिसमे साधुओ के दोषों व शक्ति के अनुसार प्रायश्चित देने की विधि का वर्णन है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शांतिनाथ पुराण – Shantinaatha Puraana. Many narrative books of this title written by 1)Poet Asag 2) Acharya Shreedhar 3) sakalkirti 4) Shubhkirti. कवि असग द्वारा (ई. 988) रचित हिंदी महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई. 1132) कृत अपभ्रंश काव्य, सकलकीर्ति (ई. 1406-1442) कृत 3475 संस्कृत पद्य प्रमाण ग्रंथ, शुभकीर्ति (ई.श. 15 पूर्वार्ध) कृत अपभ्रंश काव्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय अहिंसा – Nishchaya Ahinsa. Absolute non-voilence. मुनि अवस्था में प्रमाद व राग आदि का उत्पन्न न होना “
त्रयदंड Three types of punishment. मन-वचन – काय के अशुभ क्रिया रूप तीन दंड है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शल्य रहित – Shalya Rahita. One without any worries and attachment. व्रती; जो शल्य रहित होता है “