आप्तमीमांसा टीका!
आप्तमीमांसा टीका A book (Ashtashati Bhashya) written by ‘Acharya Akalank Dev’. देवागम स्तोत्र पर आचार्य अकलंक देव कृत एक संस्कृत टीका जिसका नाम अष्टशती भाष्य है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आप्तमीमांसा टीका A book (Ashtashati Bhashya) written by ‘Acharya Akalank Dev’. देवागम स्तोत्र पर आचार्य अकलंक देव कृत एक संस्कृत टीका जिसका नाम अष्टशती भाष्य है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्रसोपचय –Visrasopachaya. Natural Karmic attendants; natural aggregation of karmic molecules capable of binding with soul. वे कर्म व नोकर्म के परमाणु जो जीव के प्रदेशों में एक क्षेत्रावगाही हैं ” परन्तु जीव के साथ के साथ बंध को प्राप्त नहीं हैं अर्थात् ये कर्म नोकर्म रूप होने के योग्य हैं, वर्तमान में…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूर्तत्त्व–Murtattva. Corporeality, Materiality, Tangibility. मूर्तित्वपना; स्पर्श, रस, गंधादिपना होना”
आलेखित Written displayed or Intuitional illustration. चित्रित लिखा हुआ ध्यान में स्थिरता के पुरिपुष्ट हो जाने पर ध्येय का सवरूप ध्येय के सन्निकट न होते हुए भी स्पष्ट रूप से प्रतिभासित होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
देवागम स्तोत्र A religious hymn written by Acharya Samant- bhadra. आचार्य समन्तभद्र द्वारा रचित एक स्तोत्र । अपरनाम-आप्तमीमांसा।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमलेश्वर – Vimalesvara. Name of the 18th Tirthankar of past era. भूतकालीन १८ वें तीर्थकर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संबंध – Sanbandha. Alliance, Relation, Connection. संयोग, मिलाप, साहचर्य ” जहां पर अभेद प्रधान और भेद गौण होता है वहां पर संबंध समझना चाहिए “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुज्यमान आयु – Bhujyamana Ayu. Present age. वर्तमान में जिस आयु को भोगा जा रहा है वह भुज्यमान आयु है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रिति – Shriti. Dependence, support, approach, Multiplicative increase in virtues. अवलम्ब, सहारा, पहुंच ” सम्यग्दर्शन आदि शुद्ध गुणों की गुणित रूप उत्तरोत्तर उन्नत अवस्था को प्राप्त कर लेना यह भाव श्रिति है, एवं सोपान पंक्तिक्रम से चढना यह द्रव्य श्रिति है ” भक्त प्रत्याख्यान सल्लेखना विधि के 40 अधिकारों में 9वां अधिकार, शुभ परिणामो…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावस्वाध्याय – Bhavasvadhyaya. Rethinking of spiritual contents. स्वाध्याय के द्वारा शुध्द आत्मा को अनुभव में लाना “