दूरातिदूर भव्य!
दूरातिदूर भव्य Beings who can never get salvation due to some external reasons. जिनके बाहरी कारण सम्यग्दर्शनादि के न मिलने पर अनंतकाल में भी मोक्ष नहीं होता है। (अभव्य जीवों के समान)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दूरातिदूर भव्य Beings who can never get salvation due to some external reasons. जिनके बाहरी कारण सम्यग्दर्शनादि के न मिलने पर अनंतकाल में भी मोक्ष नहीं होता है। (अभव्य जीवों के समान)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुक्लपक्ष – Shuklapaksha. The bright half of a lunar month (from new to full moon day). चंद्रमास का उज्जवल या सुदी पक्ष ” अथवा प्रतिप्रदा से राहू के गमन विशेष से चंद्रमंडल या चन्द्रमा की एक-एक कला खुलती चली जाती है, 16 कला पूर्ण होने पर पूर्णिमा होती है ऐसे कलावृद्धि पक्ष को शुक्लपक्ष…
एकत्वसप्ततिका Name of a book on soul theory. शुद्धात्म स्वरूप पर संस्कृत भाषा में रचित ग्रन्थ (ई.श्. 11 का उत्तारार्ध)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दुष्प्रत्याख्यान Bad renunciation. खोटा त्याग । जैसे – दिन मोजन त्याग करके रात में खाना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
वाणिज्य – Vaanijya.: Trade, Commerce, Business, an important activity of livelihood. भगवान आदिनाथ द्वारा उपदेशित ष्टकर्मों में एक कर्म; व्यापार द्वारा आजीविका करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचाश्चर्य – Panchashchry Five spiritual & super wonder. देवकृत रत्नवर्षा, पुष्पवर्षा, गंधोदकवृष्टि, शीतल मंद सुगंधित वायु प्रवाह, दुंदुभि बाजे और अहोदनं अहोदनं की ध्वनी ” यह पंचाश्चर्य वृष्टि तीर्थकर भगवंत एवं विशेष महामुनियों के आहार में देवों द्वारा की जाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भविष्यकाल – Bhavisyakala. Future time. काल का एक भेद; अनागत काल , यह सर्व जीव राशि व सर्व पुददगलराशि से अनंतगुणा है “
दुःखदायक Pain causing activities. दुःख देने वाली भावना, कार्य आदि जैसे हिंसादि पांच पाप इस लोक और परलोक में दुख देने वाले हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर लोक –Vyaintara Loka. The world of peripatetic deities. चित्रा और व्रजा पृथिवी की मध्यसंधि से लगाकर मेरु पर्वत की ऊंचाई तक तथा तिर्यकृ लोक के विस्तार प्रभाव लम्बे – चौड़े क्षेत्र को व्यंतर लोक कहते है जहाँ व्यंतरदेवो के भवन, भवनपुर और आवास होते हैं “