आपृच्छा!
आपृच्छा See – Åpro cchanå. देखें – आपृच्छना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
एषणासमिति Carefulness in alms, food accepting for saints. 5 समिति में एक समिति-मुनि का 46 दोषों से रहित आहार ग्रहण करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उद्धभाषण True speech. सत्यव्रत की 5 भावनाओं में एक भावना-आगमानुकूल वचन बोलना, इसे अनुवीचिभाषण भी कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उच्चारणाचार्य Name of an Acharya. एक आचार्य जिन्होंने कषाय पाहुड़ के चूर्णिसूत्रों के आधार पर उच्चारण वृत्ति नामक टीका लिखी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इंद्रियज सुख Sensual pleasure. इन्द्रियों के द्वारा उनके विषय भोगने को इन्द्रियज सुख कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमोपकरण – Sanyamopakarana. Restraint indicating article (Pichchhi) possessed by Digambar jaina saint. It is made by peacock- feathers which are turned down naturally while dancing of peacock. जैन साधु के योग्य संयम का पालन करने में सहायक पिच्छिका को संयमोपकरण कहते हैं ” यह प्राकर्तिक रूप से गिरे हुए मोर के पंखों से बनायी…
आवागमन Transmigration, Arrival and departure. भव-भव में भ्रमण करना आना-जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इंद्रक Middle aboding places (Viman) of heaven & middle dwelling places (Bill) of hell. पटल इंद्रक का अर्थ अन्तर्भूमि है स्वर्गो में मध्य के विमान एंव नरकों के बिल।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीनंदि – Shreenandi. The disciple of Sakalchandra of Nandi group. नंदिसंघ देशीयगण में सकलचन्द्र के शिष्य तथा नयनंदि के गुरु ” आपके लिए ही पद्मनंदि ने जम्बूद्वीप पण्णति लिखी थी ” अपरनाम रामनंदि, समय- ई. 968-1023 “