प्रणिधान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणिधान – Pranidhaana. Concentrating the mind on particular object. स्मरण की इच्छा से मन को एक स्थान में लगाने का ‘नाम’ प्रणिधान है ” परिणाम, प्रयोग व प्रणिधान ये एकार्थवाची शब्द है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणिधान – Pranidhaana. Concentrating the mind on particular object. स्मरण की इच्छा से मन को एक स्थान में लगाने का ‘नाम’ प्रणिधान है ” परिणाम, प्रयोग व प्रणिधान ये एकार्थवाची शब्द है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तर सत्त्व त्रिभंगी –VistaraSattvaTribhammgi. Name of a treatise written by AcharyaKanaknandi. आचार्य कनकनंदि कृत कर्म सिध्दांत विषयक प्राक्रत भाषा का एक ग्रंथ ” समय – ई.सन् ९३९
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रच्छन्न – Prachchhanna. Hidden, concealed, an infraction of self-criticism-asking for the repentance of own fault indirectly. आच्छादित, छिपा हुआ, आलोचना का एक दोष; प्रच्छन्न रूप से किये गये पाप के प्रायश्चितका उपाय पूछना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसाधिकाम्मोद – रसधिक जाति के मेघ। यं रस की वर्शा करते हैं।उत्सर्पिणी काल में अतिदुशमा काल के अन्त में ये बरसते है जिससे घरती उपजाउ होती है। Rasadhikammoda-A kind of clouds causing juicy raining
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मेश्वर – Brahmesvara. Name of the ruling demigod of Lord Shitalnath. शीतलनाथ भगवान का शासन यक्ष “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपसत्य – 10 प्रकार के सत्यभाशण में एक। इसमें पदार्थ के न हाने पर रूप मात्र की अपेक्षा उसका कथन करना।जैसे – चित्र में बने पुरूश को पुरूश कहना। Rupasatya-Description of something by general outline
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लांतव देव – सातवे स्वर्ग के निवासी देव। Lamtava Deva-The deities of the 7th heaven
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == माया : == सच्चाण सहस्साण वि, माया एक्कावि णासेदि। —भगवती आराधना : १३८४ एक माया हजारों सत्यों का नाश कर डालती है। माया तैर्यग्योनस्य। —तत्त्वार्थ सूत्र : ६-२७ माया तिर्यंच योनि को देने वाली है। (तिर्यंच माया के कारण ही बांके होकर चलते हैं।)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] भेदज्ञान:Discriminating science (knowledge).जीवादि सातों तत्वों में सुखादि की अर्थात् स्व तत्व की स्वसंवेदनगम्य पृथक् प्रतीति होना ” अथवा स्व पर पदार्थो का यथार्थ ज्ञान होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगपरिकर्म – मन वचन काय द्वारा आत्म प्रदेषो की चंचलता। Yoga parikarma-Vibration in soul points