इन्द्रविधिदान क्रिया!
इन्द्रविधिदान क्रिया An auspicious and sacred act (to handover the duties by Indra). 45 वीं गर्भान्वय क्रिया- इस क्रिया में इन्द्र पद को प्राप्त जीव नम्रीभूत देवों को अपने अपने पदों पर नियुक्त करता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इन्द्रविधिदान क्रिया An auspicious and sacred act (to handover the duties by Indra). 45 वीं गर्भान्वय क्रिया- इस क्रिया में इन्द्र पद को प्राप्त जीव नम्रीभूत देवों को अपने अपने पदों पर नियुक्त करता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजा – देष का एक प्रधान पुरूश, प्रजा का रक्षक। Raja-A king as a protector, a ruler of a country
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीपाल चरित – Shreepaala Charita. Name of many books written by different writers. सकलकीर्तिकृत संस्कृत छंदोंबद्ध (ई. 1406-1442), भट्टारक श्रुतसागर कृत संस्कृत गद्य रचना (ई. 1487-1499), कवि परिमल्ल (ई. 1594) कृत, ब्र. नेमिदत्त (ई. 1428), वादिचन्द्र (वि. 1637-1664) कृत हिन्दी गीत काव्य, पं. दौलतराम (ई. 1720-1772) कृत भाषा ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशान्तता क्रिया- दीक्षान्वय की एक क्रिया; नाा प्रकार के उपवास आदि की भावनाओं को प्राप्त होना। Prasantata Kriya- An act of consecration, to having feelings fasting etc
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोभद्र – श्रुतकेवली भद्रबाहु द्वि के गुरू जो आचारांग के गुरू थे। समय ई पू 53 – 35 Yoshobhadra and another name of Acharya Bhadrabahu (II)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्री – Shree. Prosperity, glory, brilliance, A mark of respect, Name of a city in the south of Vijayardh mountain, A female deity of Padma hrid, a large pond of Himvan mountain, A mountain of Bharat Kshetra Arya Khand (region). ऐश्वर्य, कीर्ति, यश, सरस्वती, प्रभा, आदर-सूचक शब्द जो नाम के आगे लिखा जाता है,…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोधर – भूतकालीत 19 वें तीर्थकर, मध्यम ग्रैवेयक का एक इन्द्रक विमान, मानुशोत्तर पर्वत के सौगन्धिक कूट का एक देव, एक राजा जिन्होने आटे के मुर्गे की बलि करके कई भवों तक दुर्गति के दुख उठाये। देखें – यषोधर चरित, आटे का मुर्गा आदि पुस्तकें। Yasodhara-Name of the 19th Tirthankar (Jaina-Lord) in the past…
छद्मस्थ Beings with hypocrisy or disguised form (upto 12th stage of spiritual development). छद्म अर्थात् ज्ञानावरण व दर्शनावरण में रहने वाले जीव , शुद्धात्म ज्ञान की अपेक्षा अल्पज्ञ जीव , १२वें गुणस्थान तक जीव छद्मस्थ होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रावक-धर्म: == सहसाभ्याख्यानं, रहसा च स्वदारमन्त्र भेदं च। मृषोपदेशं कूटलेखकरणं च वर्जयेत्।। —समणसुत्त : ३१२ (साथ ही साथ) सत्य—अणुव्रती बिना सोचे—समझे न तो कोई बात करता है, न किसी का रहस्योद्घाटन करता है, न अपनी पत्नी की कोई बात मित्रों आदि में प्रकट करता है, न मिथ्या (अहितकारी)…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रात्रि – रात – सूर्यास्त से लेकर सूर्यांेदय तक का समय। Ratri-Night time(hours)