सर्पगत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्पगत – Sarvagata.. Omnipresent, all-pervading. सर्वव्याप्त-सभी जगह फैला हुआ। केवलज्ञान के सर्व लोकालोक को जानने के कारण जीव सर्वगत या सर्वव्यापी कहलाता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्पगत – Sarvagata.. Omnipresent, all-pervading. सर्वव्याप्त-सभी जगह फैला हुआ। केवलज्ञान के सर्व लोकालोक को जानने के कारण जीव सर्वगत या सर्वव्यापी कहलाता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथिवि (नरक) – Prthivi (Naraka). Earths of 7 Hells. सात नरकों की सात पृथिवियाँ “
चतुष्टयी वृत्ति Four uses of money (acquisition, saving or protection, growth, expenses). अर्थ की ४ वृत्तियाँ -अर्जन ,रक्षण ,वर्धन ,व्यय ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सराग छद्मस्थ – Saraaga Chhadmastha. Souls at the 4th to 10th stage of spiritual development. छद्मस्थ के दो भेदो मे एक भेद। चौथे से दसवें गुणस्थान वाले जीव सराग छद्मस्थ कहलाते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावभावक भाव – Bhavabhavaka Bhava. A relation between soul & result oriented Karmas. संबंध; आत्मा एवं फल देने की सामर्थ्य से युक्त कर्म एवं आत्मा, दोनों में भाव-भावक भाव है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्धत्व – Snigdhatva. Greasiness, lubricity, smoothness.परमाणु बंध का एक कारण। देखे- स्निग्ध गुण।
द्वीपार्धचक्रवाल Name of Manushottar mountain. मानुषोत्तर पर्वत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चलाचल Movables and immovables (reg. all beings). संसारी जीव के चालित , अचलित , चलिताचलित प्रदेशों में तीसरा भेद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष भागाभाग विधान – Sparssana Bhagaabhaaga Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।