ण!
ण The fifteenth consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी लिपि का पन्द्रहवाँ व्यंजन अक्ष्सार, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
ण The fifteenth consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी लिपि का पन्द्रहवाँ व्यंजन अक्ष्सार, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पात्रदेाष :A fault to have jealousy with worthy donees.पात्र के प्रति ईष्र्या आदि का होना।
देवयश Name of the 19th Teerhankar (Jaina Lord) of Videh kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित 19 वें तीर्थंकर का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाणिपात्र :Hand bowl (hallowed open hands joined together) used in food taking by Digambar Jana Saints.दोनो हाथ को मिलाकर बनी अंजुलि को पाणिपात्र कहते है। दिगम्बर जैनसाधु पाणिपात्र मे आहार ग्रहण करते है।
थावर Stable object, One sensed immobile beings like inanimate objects. यहि एक प्राकृतिक शब्द है-इसका सामान्य अर्थ है स्थिर अथवा स्थावर वस्तु एंव स्थावर एकेन्द्रिय जीव (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति कायिक जीव) को भी थावर कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पांड्य:A country situated in the middle aryakhand (region).मघ्य आर्यखण्ड मे स्थित एक देश।
त्रैराशिक Rule related to three mathematical quantities. गणित संबंधी तीन राशियाँ- प्रमाण , फल व इच्छाराशि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिवलित A fault or religious activities. कायोत्सर्ग का एक अतिचार, वंदना का एक अतिचार , कटि ग्रीवा, मस्तक, आदि पर तीन बल पड़ जाना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्दश गुणस्थान Fourteen Gunsthan-stages of spiritual developments. १४ गुणस्थान ; मिथ्यात्व , सासादन , मिश्र , अविरत सम्यग्दृष्टि , देशाविरत , प्रमत्त , अप्रमत्त, अपूर्वकरण , अनुवृत्तिकरण, सूक्ष्म-साम्पराय , उपशांत मोह , क्षीणमोह , संयोगकेवली, आयोगकेवली ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]