रत्नकरंडश्रावकचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नकरंडश्रावकचार – आचार्य समन्तभद्र ं(इ्र, ष, 2) कृत एक संस्कृत ग्रंथ Ratnakaramdasravakacara-Name of a treatise written by Acharya Samantbhadra
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नकरंडश्रावकचार – आचार्य समन्तभद्र ं(इ्र, ष, 2) कृत एक संस्कृत ग्रंथ Ratnakaramdasravakacara-Name of a treatise written by Acharya Samantbhadra
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीपाल आख्यान – Shreepaala Aakhyaana. Name of a treatise written by Vadichandra. वादिचन्द्र कृत संस्कृत भाषाबद्ध एक रचना ” समय- 1580-1607 “
गंधकूट A summit situated at shikhari mountain. शिखरी पर्वत पर स्थित एक कूट। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेघंकरी– Meghankari. The female divinity of Nanadankut (a summit) of Nandan forest. नन्दनवन के नन्दंकुट कीस्वामिनी एक दिक्कुमारी देवी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्राविका – Shraavikaa. A female lay follower of Jaina instructions. जो गृहस्थ महिला श्रद्धावान, विवेकवान व सदाचारी हो एवं धर्म का अनुसरण करती हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त पाहुड़ – Sachitta Paahura. Animate gifts (pertaining to living objects). निक्षेप रूप पाहुड़ का एक भेद; उपहार रूप से भेजे गये हाथी, घोडा और स्त्री आदि सचित्त पाहुड़ है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वीतराग : == यत्सुखं वीतरागस्य मुने: प्रशमपूर्वकम्। न तस्यानन्तभागोऽपि प्राप्यते त्रिदशेश्वरै:।। —ज्ञानार्णव : १९-३ वीतराग मुनि को प्रशम भाव सहित जो सुख प्राप्त होता है, उसका अनन्तवां भाग भी देवेन्द्रों को प्राप्त नहीं होता (अर्थात् इन्द्र के प्राप्त होने वाले सुख से अनंतगुना—अक्षय सुख वीतराग मुनि को प्राप्त…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रद्धान प्रायश्चित – Shraddhaana Praayashchita. Repentance over false belief with acceptance of right belief. मिथ्यात्व को प्राप्त होकर स्थित हुए जीव के महाव्रतों को स्वीकार कर आप्त, आगम और पदार्थों का श्रद्धान करने पर श्रद्धान नाम का प्रायश्चित होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रौद्र – हिंसा व क्रूरता का कर्म व इसमें होने वाला भाव, काव्य के 9 रसों में एक रास। Raudra-violent, passion fearsome a literary sentimental form of poem