स्वर्ग!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ग – Svarga. The heaven, aboding place of deities. इसका अपरनाम कल्प है ये ऊध्र्वलोक मे स्थित है। स्वर्ग के दो, विभाग है-कल्प व कल्पातीत। यहाॅ वैमानिक देव रहते है अथवा कल्पोपपन्न व कल्पातीत देवो के रहने के स्थान।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ग – Svarga. The heaven, aboding place of deities. इसका अपरनाम कल्प है ये ऊध्र्वलोक मे स्थित है। स्वर्ग के दो, विभाग है-कल्प व कल्पातीत। यहाॅ वैमानिक देव रहते है अथवा कल्पोपपन्न व कल्पातीत देवो के रहने के स्थान।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोजना सत्य – Sanyojana Satya. A type of truth misinterpretation of any similar subjects or objects. सत्य वचन के 10 भेदों में एक भेद; चेतन-अचेतन द्रव्यों का विभाजन नहीं करने वाले वचन द्वारा चेतन पदार्थों की विवक्षा न कर केवल चक्र के आकार में रची हुई सेना को चक्रव्यूह कहना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरक्षा – Svaraksaa. To have right or pure conduct, self defence. शुद्व भाव रखना ही स्वरक्षा अर्थात् आत्मरक्षा है, अहिंसा का सिद्वान्त स्वात्म रक्षा के लिये ही है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृतिवाद – Prakrtivada. A sankhya philosophy of naturalism. एक सांख्य दर्शन “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वयंभू (कवि) – Svatannbgyy (Kavi). Name of a great ancient poet. अपभं्रष के प्रथम कवि। कृतियाॅ-पउम चरिउ, रिट्ठणेति चरिउ, स्वयंभू छंद, स्वयभू व्याकरण, पंचमि चरिउ, हरिवंश पुराण। समय ई0 734-840।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयत – Sanyata. One with control & restraints, Another name of Digambar Jaina saint. महाव्रती श्रमण संयत कहलाता है ” संयत जीव छठे से चौदहवें गुणस्थान तक 9 गुणस्थानों में पाये जाते हैं ” दिगम्बर मुनि का अपरनाम “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृग–Mrag. A deer, a significant symbol of Lord Shantinath. हिरण; सोलहवे तीर्थंकर शांतिनाथ भगवान् का चिन्ह”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमूर्च्छन – Sammoorchchhana. Spontaneous birth (formation of body organs or limbs by surrounding matter). जो जीव स्त्री-पुरुष के संयोग के बिना ही वातावरण में बिखरे हुए परमाणुओं के योग से उत्पन्न होते हैं वे संमूर्च्छन कहलाते हैं ” सभी प्रकार के पेड़-पौधे, शेष एक इन्द्रिय तथा दो इन्द्रियादि कीड़े-मकोड़े आदि “