पद्मवत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मवत्: Name of an area of Videh Kshetra (region), Name of summit and deity of Vasshargiri. विदेह स्थित एक क्षेत्र एवं वक्षारगिरि का कूट व देव का नाम।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मवत्: Name of an area of Videh Kshetra (region), Name of summit and deity of Vasshargiri. विदेह स्थित एक क्षेत्र एवं वक्षारगिरि का कूट व देव का नाम।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव संग्रह – Bhava Samgraha. A book written by Acharya Devasen. आचार्य देवसेन (वि. १००५) द्वारा रचित एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शलाका पुरुष – Shalaakaa Purush. Particular 63 great personages like Tirthankar (Jaina-Lord), Chakarvarti (emperor) etc. in Jaina realm. तीर्थंकर, चक्रवर्ती आदि प्रसिद्द पुरुषों को शलाका पुरुष कहते है ” प्रत्येक कल्पकाल में ये 63 होते हैं ” 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 नारायण, 9 प्रतिनारायण, 9 बलभद्र “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मर्षि – Brahmarsi. Saints having supernatural knowledge (pertain- ing to wisdom and medicines), Another name of Laukantik deities. बुद्धि और औषधि ऋध्दियुक्त साधु ब्रह्मर्षि कहलाते हैं , लौकांतिक देवों को भी ब्रह्मर्षि कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मप्रभनाथ: Namme of the 6th Tirthankar (Jaina-Lord). वर्तमान छठे तीर्थकर का नाम । आप महाराजा धरणराज एवं महारानी सुसीमा के पुत्र थें आपका जन्म कार्तिक कृ0 13 एवं मोक्ष फाल्गुन कृ0 4 को हुआ । आपका वर्ण क्षत्रिय, वंश- इक्ष्वाकु, देहवर्ण-पùरागमणि सदुश, चिन्ह-लाल कमल एवं आयु-तीस लाख पूर्व वर्ष थी । आपकी जन्मभूमि कोशाम्बी…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भास्कर – Bhaskara. Rediant, shining, The Sun, Name of a literary person. दैदीप्यवान, प्रकाशवान, सूर्य , एक मीमांसा दर्शन के साहित्य प्रवर्तक जिन्होंने जैमिनी सूत्र पर अर्थसंग्रह नामक टीका लिखी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोभ दोष –Lobha Dosh A fault related to saint –food talking (showing greed by the saints). यदि साधु लोग प्रगट करके आहार प्राप्त करे तो यह लोभ नाम का दोष है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मदत्त – Brahmadatta. Name of the 12th Chakravarti. १२ वें चक्रवतीं का नाम, जो मरकर ७ वें नरक गये “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मकीर्ति : Name of Bhattarak of Sen Group. कपासणाहचरिउ के रचयिता एक सेनसंधी भटटारक ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंत स्वर्ग –VaijayaintaSavrga. The forth heavenly abode of among 5 Anuttars (heavens). ५ अनुत्तरों में चौथा उत्तर दिशा का विमान “