दक्षिण!
दक्षिण South direction. एक दिशा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध वेदना- कर्मो के बंध से उत्पन्न वेदना या दु:ख। Bandha Vedana- Pain or trouble caused due to karmic binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभ्रांत – Sanbhraanta. Confused, Agitated, Honoured, Respected, A dwelling place in the first land of hell. उद्विग्न, भ्रमित, सम्माननीय, आदरणीय, पहली धर्मा नरक पृथिवी के 13 प्रस्तारों में छठे प्रस्तार का छठा इन्द्रक बिल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रसुक विहारी- जो साधु ग्राम में एक रात और नगर में पाँच दिन तक रहते हैं वे प्रासुक विहारी कहलाते है। Prasuka vihari- A well conducting saint (Reg. prescribed rule of staying and movement)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्गुण हानि वृद्धि – Satguna Haani Vriddhi. Finite or infinite increase & decrease in indivisible particles (of 6 kinds). अविभाग प्रतिच्छेदों में हानि वृद्धि का नाम ही षट्गुण हानि वृद्धि है ” ये 6-6 प्रकार की होती है ” (देखे- षड्गुण हानि वृद्धि) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ष – Sa. The 31st consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है “
उत्तरप्रतिपत्ति Secondary treatise or exposition (except Acharya’s preaching). आचार्य परम्परागत उपदेशों से बाहर कीजिन श्रुतियाँ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्लेष – Shlesa. A union, an association, A figure of speech containing two or more meanings of a word. संयोग, मिलन, वह अलंकार जिसमें दो या अनेक अर्थो वाले शब्द हो अथवा वे अनेक अर्थो में प्रयुक्त हुए हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमचरण चारित्र – Sanyamacarana Caritra. Restraintful pure conduct of saints. चारित्र के 4 भेदों में एक भेद, सकल चारित्र ” मुनियों के व्रत को सकल चारित्र कहते है “