मुनिदत्त!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिदत्त–Munidatt,
एकानंत Unidirectional finite (like ocean which seems to be endless). जिस एक पदार्थ को देखने पर उसका अंत नहीं पाया जाता उसको एकान्त कहते हैं जैसे अथाह समुद्र।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुक्त जीवराशि –Mukta Jeevrashi. An infinite number of salvated beings. अनंतानंत, द्रव्य गणना कीअपेक्षा जिसकी सहनानी ‘3’ है”
एकयम A self restraint. सममायिक शुद्धि संयम, यह द्रव्यार्थिक रूप है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैरात्रिक –Vairatrika A particular time period after midnight. पिछली रात्रि, अपररात्रि, आधी रात के बाद दो घड़ी बीत जाने पर वहाँ से लेकर दो घड़ी रात रहे तब तक के काल को वैरात्रिक कहते हैं ” साधू जन कृतिकर्मपूर्वक वैरात्रिक स्वाध्याय करते है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावयोग – Bhavayoga. Subjective (psychical) vibration. मन वचन काय से संयुक्त संसारी जीव के अंगोपांग व शरीर नाम कर्म के उदय से जीव की वह शक्ति जो कर्म व नोकर्म को ग्रहण करती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भ – Bha. The 24th consonant of the Devanagari syllabary. देवनगरी वर्णमाला का चौबीसवां व्यंजन, इसका उच्चारण स्थान ओष्ठ के साथ जिह्म के स्पर्श से होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्याधर लोक – Vidyadhara Loka. World of Vidyadhars (on vijayardh mountain where 4th period of universal time cycle exists all the time). विजयार्य की उत्तर- दक्षिण दीशा की श्रेणी पर विद्याधर नगरियां बनी हुई हैं जिसे विद्याधर लोक कहते हैं ” यहाँ सदैव चौथा काल ही रहता हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव – Vibhava. Passionate feelings ( i.e feelings contrary to real nature ) due to the fruition of Karmas. कर्मों के उदय से होने वाले जीव के रागादि भावों को विभाव कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावाभाव शक्ति – Bhavabhaava Sakti. One of the powers acquired by soul. जीव की एक शक्ति; सत् देवादि पर्याय का नाश करता है, इसलिए उसे भावभाव का (सत् के विनाश का) कर्तृत्व कहा गया है ” वर्तमान में होने वाली पर्याय के व्यय होने रूप शक्ति “