सम्यगनेकांत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यगनेकांत – Samyaganekaanta. Right philosophy of manifold religious aspects. युक्ति व आगम से अविरुद्व एक ही स्थान पर प्रतिपक्षी द्वारा अनेक धर्मों के स्वरुप का निरुपण करना सम्यगनेकान्त है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यगनेकांत – Samyaganekaanta. Right philosophy of manifold religious aspects. युक्ति व आगम से अविरुद्व एक ही स्थान पर प्रतिपक्षी द्वारा अनेक धर्मों के स्वरुप का निरुपण करना सम्यगनेकान्त है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लय – लीनता, तन्यमयता जो मुनि कल्पना के जाल को दूर करने अपने चैतन्य आनंन्दमय स्वरूप में लय को प्राप्त होता है वही निष्चयरत्नत्रय का स्थान होता है। Laya-Absolute engrossment
चूर्णसूत्रवृत्ति A book written by Uchcharanacharya. उत्तारणाचार्य द्वारा यतिववृषभाचार्य (ई. १५०-१८०) कृत कषाय प्राभृत के चूर्नमा सूत्रों पर लिखित एक किताब ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उद्दिष्ट Intended, Purposeful, With motive. जिसका विचार किया हो उद्देश्य बंधा हो नियत की हुई हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्विध उदय Four kinds of fruition. प्रकृति, स्थिति , अनुभाग , प्रदेश रूप उदय ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीप्रवज्या – Stripravajyaa. Initiation of a woman for asceticism.स्त्री द्वारा संपूर्ण परिग्रह त्याग करके दीक्षा धारण करना( उपचार से महाव्रती होते हुए भी सावरण होने से स्त्रियो को मुक्ति नही होती है)।
आलुंच्छन A form of self criticism. आलोचना के 4 स्वरूपों में एक भेद- कर्मरूपी वृक्ष का मूल छेदने में समर्थ ऐसा समभावरूप स्वाधीन निज परिणाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छंदशतक A book written by a poet Vrindavan. कवि वृन्दावन द्वारा रचित (ई. १८००-१८४८) भाषा पद संग्रह ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समुत्कीर्तना – Samutkeertanaa. A disquisition door (Anuyodvar) expressing existence of all karmic nature. एक अनुयोगद्वार इसमे कर्म प्रकृतियो का अस्तित्व बतलाया जाता है।
देव भवन Abode of deities. चारों निकायों के देवों के भवन (प्रत्येक भवनों में जिनमंदिर होते हैं)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]