भवितव्य!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवितव्य – Bhavitavya. Fated, Destined. जो होने योग्य हो “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेना – Venaa. Name of a river of Bharat KshetraAryakhand (region) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भविष्यत् ज्ञायक शरीर – Bhavisyat Gnayaka Sarira. A predestined prophet, one having the knowl-edge of future events. जो तत्वज्ञान को जानने वाला आगे होगा वह भविष्यत् ज्ञायक शरीर है “
त्रयात्मक द्रव्य Substances having three properties (origination, destruction and continuity). द्रव्य में उत्पाद , व्यय और ध्रौव्य ये तीन आत्मारूप लक्षण होते हैं इसलिए उन्हें त्रयात्मक द्रव्य कहा जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मसाम्पराय शुद्धि संयत – Sukshmasaamparaaya Suddhi Samnyata. One with minute passions (towards purity). मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करने वाले जिस साधु के मात्र संज्वलन लोभ रूप सूक्ष्म कषाय शेष रह जाती है वह सूक्ष्म सांपराय संयत कहलाता है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्कन्ध : == द्विप्रदेशादय स्कन्धा: सूक्ष्मा वा बादरा: संस्थाना:। पृथिवीजलतेजोवायव:, स्वकपरिणामैर्जायन्ते।। —समणसुत्त : ६५३ द्विप्रदेशी आदि सारे सूक्ष्म और बादर (स्थूल) स्कनध अपने परिणमन के द्वारा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु के रूप में अनेक आकार वाले बन जाते हैं। अवगाढगाढनिचित: पुद्गलकायै: सर्वतो लोक:। सूक्ष्मैबार्दरैश्चाप्रायोग्यै:।। —समणसुत्त : ६५४ यह…
तेजोलेश्या Yellow aura, virtuous condition of soul. पीत लेश्या, कत्र्तव्य को जानना, सबमें समभाव रखना, दया और दान में तत्पर दान में तत्पर रहना, मृदुभाषी और ज्ञानी होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मकायिक जीव – Sukshamakaayika Jeeva. Micro organism, one-sensed beings etc. वे एकेन्द्रिय जीव जो सर्व लोक में व्याप्त हैं एवं जिनकी गति का जल-स्थल आदि के द्वारा प्रतिघात नहीं होता है अर्थात् जो न किसी को रोकते है ओर न किसी से रूकते (बाधित) है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायविनिश्चयविवरण – Nyaayvinischyavivrna. Name of a book. एक न्यायविविषयक ग्रंथ “