बाल ब्रह्मचारी!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाल ब्रह्मचारी – Bala Brahumacari. A celibate from childhood. बालपने से ही ब्रह्मचर्य वृत को पालने वाला “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाल ब्रह्मचारी – Bala Brahumacari. A celibate from childhood. बालपने से ही ब्रह्मचर्य वृत को पालने वाला “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव ज्ञान – Svabhaava Jnnaana. Self revealing knowledge, natural knowledge. जो इन्द्रिय रहित असहाय केवलज्ञान है वह स्वभाव ज्ञान है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेगवती –Vegavati Name of a river of Bharat Kshetra (region) भरतक्षेत्र की एक नदी “
आयुकर्मप्रकृति A karmic nature causing age binding. जिस कर्म के उदय से यह जीव निश्चित समय तक नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देवच के शरीर में रूका रहे।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वप्रतिभास – Svapratibhaasa. Self apprehension.स्वप्रतिभास को केवल दर्शन कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य प्रवाद –ViryaPravada A part of Shrutgyan (scriptural knowledge) containing the description of the power of soul. दृष्टिवाद – १२वे अंग का तीसरा पूर्व, जिसमे आत्मा – अनात्मा की शक्ति का कथन हैं ” इसके ७० लाख माध्यम पद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिमित्तक उत्पाद – Svanimittaka Utpaada. Modification or change due to own causes (reg. any matter).स्व के निमित से होने वाला परिणमन; प्रत्येक द्रव्य मे अगुरुलधु गुण का छह स्थान पतित हानि और वृद्वि के द्वारा वर्तन होता रहता है। अतः इनका उत्पाद और व्यय स्वभाव से होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेषालोचन – Visheshalochana. Acceptance of own faults before an Achrya by a mortifier (Kshapak). सल्लेखना के समय क्षपक के द्वारा आचार्य के सामने की जाने वाली विशेष आलोचना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति (ध्रुव – अध्रुव ) – Prakrti (Dhruva –Adhruva). Karmic nature with continuous & non-continu-ous binding. ध्रुव – अध्रुव प्रकृति; बंध व्युच्छित्ति पर्यत जिनका बंध होता रहे वह ध्रुव बंधी तथा जिनका बंध होकर रुक जाता है वह अध्रुव बंधी प्रकृतियां हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वच्छाहार – Svacchaahaara. Pure food.शुद्व सात्त्विक आहार।