भोक्त्रत्व भोग्य भाव!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोक्त्रत्व भोग्य भाव :See- Bhokta Bhogya Bhav. देखें – भोक्ता भोग्य भाव “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोक्त्रत्व भोग्य भाव :See- Bhokta Bhogya Bhav. देखें – भोक्ता भोग्य भाव “
दीक्षा काल Time period of Diksha (initiation or consecration). दीक्षा ग्रहण वाले आचार्य।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
गरूड़ध्वज Name of a city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दिग्गजेंद्र Mountains in Bhadrashal forest in either side of Sumeru mountain in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र में सुमेरू पर्वत के दोनों ओर भद्रशाल वन में सीता व सीतोदा नदी के तट पर स्थित दो-दो पर्वत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
गर्दतोय A division of special heavenly deities (Laukantik). लौकान्तिक देवों का एक भेद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकाम – Prakama. Name of the 4th pre-destined Rudra. भविष्यत् कालीन चौथे रूद्र का नाम “
आवास Place of residence or abode. मकान रमणीय तालाब पर्वत और वृक्षादिक के ऊपर स्थित व्यंतर आदिक देवों के निवास स्थान को आवास कहा गया है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गरूड़ Ruling demigod of Jaina Lord Shantinath, 4th Patal (layer) of sanatkumar heaven, Eagle or a large vulture. शांतिनाथ भगवान का शासन यक्ष. सनत्कुमार स्वर्ग का चौथा पटल. एक विशालकाय पक्षी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संयम : == यथा कूर्म: स्वअंगानि, स्वके देहे समाहरेत्। एवं पापानि मेधावी, अध्यात्मना समाहरेत्।। —समणसुत्त : १३७ जैसे कछुवा अपने अंगों को अपने शरीर में समेट लेता है, वैसे ही मेधावी (ज्ञानी) पुरुष पापों को अध्यात्म के द्वारा समेट लेता है। वय समिदि कसायाणं दंडाणं तह इंदियाण पंचण्हं।…