दीनता!
दीनता Wretchedness. दयनीय अवस्था, गरीबी, दरिद्रता।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रावक : == जो बहुमुल्लं वत्थु, अप्पमुल्लेण णेव गिण्हेदि। वीसरियं पि न गिण्हदि, लाभे थूर्एाह तूसेदि।। — कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ३३५ वही सद्गृहस्थ श्रावक कहलाने का अधिकारी है, जो किसी की बहुमूल्य वस्तु को अल्पमूल्य देकर नहीं ले, किसी की भूली हुई वस्तु को ग्रहण नहीं करे और थोड़ा…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्ववष – Svavasa Own control or self controlled. आत्मवष, जो परभाव को त्यागकर निर्मल स्वभाव वाले आत्मा को ध्याता है वह स्ववष है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यमपाल चांडाल–Yampal Chaandal. Name of a particular brute (Chandal), great person worshipped by deities for observing vow of non–violence on Chaturdarshi. जिसने चतुर्दशी को हिंसा न करने की प्रतिज्ञा ली थी, हिंसा न करने से देवताओ से पूजित हुआ”
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ग – Svarga. The heaven, aboding place of deities. इसका अपरनाम कल्प है ये ऊध्र्वलोक मे स्थित है। स्वर्ग के दो, विभाग है-कल्प व कल्पातीत। यहाॅ वैमानिक देव रहते है अथवा कल्पोपपन्न व कल्पातीत देवो के रहने के स्थान।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शरण : == ज्ञानं शरणं मम, दर्शनं च शरणं च चारित्र शरणं च। तप: संयमश्च शरणं, भगवान् शरणो महावीर:।। —समणसुत्त : ७५० ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप और संयम मेरे लिए शरण हैं। भगवान् महावीर मेरे लिए शरण हैं।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरक्षा – Svaraksaa. To have right or pure conduct, self defence. शुद्व भाव रखना ही स्वरक्षा अर्थात् आत्मरक्षा है, अहिंसा का सिद्वान्त स्वात्म रक्षा के लिये ही है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृतिवाद – Prakrtivada. A sankhya philosophy of naturalism. एक सांख्य दर्शन “