प्रयोगकर्म!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगकर्म- कर्म का एक भेद; यह मन, वचन, काय प्रयोग कर्म के भेद से 3 प्रकार का होता है। Prayogakarma –A type of Karma
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगकर्म- कर्म का एक भेद; यह मन, वचन, काय प्रयोग कर्म के भेद से 3 प्रकार का होता है। Prayogakarma –A type of Karma
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पण्हसवण:Another name Dharsenacharya. धरसेनाचार्य का ही दूसरा नाम , क्योकि प्रज्ञाश्रमण का प्राकुत रूप पण्हसवण है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विरशासन जयंती व्रत –VirasasanaJayanintiVrata. A vow (fasting) on Shravan Krishna. 1, the first auspicious day on which the resonant preaching (DivyaDhvani) of Lord Mahavira was delivered. भगवन महावीर की दिव्यध्वनी की प्रथम तिथि श्रावण कृ.१ उपवास करना ” ‘ॐ’ ह्रीं श्री महावीरराय नम:’ इस मंत्र का जाप्य करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमेय- द्रव्य पर्याय रुप वस्तु ही प्रमेय है। प्रमाण (ज्ञान) से जो जाना जाये। Prameya- Object to be known completely
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पक्षाभास: Fallacious arguments. मित्याप्रक्ष -इष्ट, असक्ष् िऔर अबाधित इन विषेषणो से विपरीत अनिष्ट, सि़द्व व बाधित पक्षाभास है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुमुक्षु–Mumukshu. Those desirous of salvation or liberation. मोक्ष की इच्छा करने वाले भव्य जीव” समयसार में निर्ग्रन्थ दिगंबर मुनिओ को मुमुक्षु कहा है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमादचरित- अनर्भदण्ड; बिना प्रयोजन पृथिवी, जल, अग्नि के आरम्भ करना, वनस्पति छेदना, पर्यटन करना और दूसरों को कराना। Pramadacarita- Causing useless activities (purposeless)
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूगोल – Bhugola. Geography. जैनाभीमत में मध्यलोक- जंबुद्वीप आदि ब्रह्रांड का वर्णन विषय भूगोल में है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण राशि- गणित में विवक्षित प्रमाण का जो फल या उपकार प्राप्त होवें। PramanaRasi- Resulting or final quantity
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथाजातरूपधर–Yathajaatrupadhar. One having natural form without any worldly attachment. व्यवहार से नगन्पने एवं निश्चय से जो आत्मा का स्वरुप है उसे जोधारणकरता है”