लिंग व्यभिचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग व्यभिचार – स्त्रीलिग के स्थान पर पुल्लिंग का कथन करना और पुल्लिंग के स्थान पर स्त्रीलिेग का कथन करना। Limga Vyabhicara-wrong interpretation of genders (i. e. masculine for feminine or vice versa)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग व्यभिचार – स्त्रीलिग के स्थान पर पुल्लिंग का कथन करना और पुल्लिंग के स्थान पर स्त्रीलिेग का कथन करना। Limga Vyabhicara-wrong interpretation of genders (i. e. masculine for feminine or vice versa)
एकाग्र Attentive, Concentrated, Single minded. ध्यान-अनेक पदार्थों से हटकर एक विषय में चितवृत्ति को रोक देना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषमोचिक – Vishamochika. The wood – soled sandal of Chakravarti (emperor) Bharatesh. चक्रवर्ती भरतेश की पादुकाएं या खंडाऊं का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव अभावशक्ति – Bhava Abhavasakti. A kind of power acquired by the soul. जीव की एक शक्ति, विधमान पर्याय का नाश करने से जीव को भावाभाव कर्त्तृव कहा गया है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तर सत्त्व त्रिभंगी –VistaraSattvaTribhammgi. Name of a treatise written by AcharyaKanaknandi. आचार्य कनकनंदि कृत कर्म सिध्दांत विषयक प्राक्रत भाषा का एक ग्रंथ ” समय – ई.सन् ९३९
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसाधिकाम्मोद – रसधिक जाति के मेघ। यं रस की वर्शा करते हैं।उत्सर्पिणी काल में अतिदुशमा काल के अन्त में ये बरसते है जिससे घरती उपजाउ होती है। Rasadhikammoda-A kind of clouds causing juicy raining
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपसत्य – 10 प्रकार के सत्यभाशण में एक। इसमें पदार्थ के न हाने पर रूप मात्र की अपेक्षा उसका कथन करना।जैसे – चित्र में बने पुरूश को पुरूश कहना। Rupasatya-Description of something by general outline
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यंत्र– Yantra. Auspicious mystical diagrams or verses, Machine. कुछविशिष्ट प्रकार के अक्षर, शब्द या मन्त्र जो विभिन्न रेखाक्रतियां बनाकर उसमे चित्रित किये जाते है” पूजा, प्रतिष्ठा, विधान आदि में इनका प्रयोग किया जाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लांतव देव – सातवे स्वर्ग के निवासी देव। Lamtava Deva-The deities of the 7th heaven