पारमार्थिक सुख!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारमार्थिक सुख – Parmarthika Sukha. Supreme enjoyment, spiritual bliss, परम, सर्वोत्कृष्ट एवं यथार्थ आत्मिक सुख “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारमार्थिक सुख – Parmarthika Sukha. Supreme enjoyment, spiritual bliss, परम, सर्वोत्कृष्ट एवं यथार्थ आत्मिक सुख “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राहू – ज्यातिश के मुख्य 9 ग्रहो में 8 वां ग्रह जन्मकुंडली में राहु ग्रह से अनिश्ट होने पर उसके निवारण हेतू भगवान नेमिनाथ की उमासना की जाती है। Rahu-An astrological planet
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मील–Miil. Mile; A measurement unit of area. क्षेत्र का एक प्रमाण विशेष”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पापास्त्रव – Papasrava. Influx of sinful Karmas. देखें- पाप आस्त्रव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ल्क्षण निमित्तज्ञान – अश्टांग निमित ज्ञान का छठा अंग, षारिरिक चिन्ह देखकर मनुश्य के ऐष्वर्य व दरिद्री आदि का ज्ञान होना। Laksana Nimittajnana-A type of knowledge gained through different marks of the body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाप – Papa. Sinful activities, Moral guilt, Demerit. आत्मा को मलिन करने वाली अशुभ क्रिया; इसके ५ भेद है- हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संसार : == धिक् संसारं यत्र, युवा परमरूपर्गिवतक:। मृत्वा जायते, कृमिस्तत्रैव कलेवरे निजके।। —समणसुत्त : ५११ इस संसार को धिक्कार है, जहाँ परम रूप-र्गिवत युवक मृत्यु के बाद अपने उसी त्यक्त मृत शरीर में कृमि के रूप में उत्पन्न हो जाता है। न नास्तीहावकाशो, लोके बालाग्रकोटिमात्रोऽपि। जन्ममरणबाधा, अनेकशो…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पात्रदान :Offering food etc. to worthy persons (ascetics etc).तपस्वी आदि सुपात्रो को आहारदि दान देना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योशिता – स्त्री, चक्रवर्ती के 14 रत्नो में एक रत्न। Yosita-A women one of the 14th Jewels of Chakravarti