फिलिप्स!
फिलिप्स Father’s name of the great king, ‘Sikandar’. यूनान देश का राजा तथा सम्राट सिकन्दर का पिता । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
फिलिप्स Father’s name of the great king, ‘Sikandar’. यूनान देश का राजा तथा सम्राट सिकन्दर का पिता । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == रत्नत्रय : == सम्मद्दंसंण—णाणं चरणं मुक्खस्स कारणं जाणे। —द्रव्यसंग्रह : ३९ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान एवं सम्यग्चारित्र—यही रत्नत्रय मोक्ष का साधन है। तत्त्वरुचि: सम्यक्त्वं, तत्त्व—प्रख्यापकं भवेत् ज्ञानम्। पापक्रियानिवृत्तिश्चारित्रमुक्तं जिनेन्द्रेण।। —ज्ञानार्णव : ९१ जिनेन्द्र भगवान ने तत्त्वविषयक रुचि को सम्यग्दर्शन, तत्त्वविषयक ज्ञान को सम्यग्ज्ञान और पापमय क्रिया से निवृत्ति को सम्यक्…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थूल जीव – Sthuula Jiiva. One sensed beings having gross body.एकेन्द्रिय जीव के दो भेदो मे एक भेद। बादर जीव।
त्रिरत्न Three jewels of Jaina religion- Right faith, Right knowledge & Right conduct. जैन धर्म के तीन रत्न , सम्यग्दर्शन , सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाविज्ञायिक शरीर – Bhavigyayika. One who is going to be learned one in future. नोआगम द्रव्य कर्म के ३ भेदों में एक; कर्म स्वरूप को जानने वाला शरीर जिसको आगमिकाल में धारण करेगा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति बंधापसरण – Sthiti Bamdhaapasarana. Reduction of karmic binding with soul.स्थिति बंध का क्रम से धटना।
त्यक्त ज्ञायक शरीर The body left with renouncement. नोआगम द्रव्य कर्म का एक भेद कर्मस्वरूप के जानने वाले जीव का संन्यास रूप परिणामों से छोडा गया शरीर । यह तीन प्रकार का है- भक्तप्रत्याख्यान , इंगिनी व प्रायोपगमन। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाषा पर्याप्ति – Bhasha Paryapti. Power of vocal or verbal completion (caused by some karmic nature). स्वर नामकर्म के उदय से भाषा वर्गणा रूप पुद्ग्ल स्कन्धों को सत्य, असत्य, उभय, अनुभय भाषारूप परिणमावने की शक्ति की निष्पति होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थावर -Sthaavara. Immobile or static beings like earth, water, air, fire & plants (one-sensed).स्थावर नामकर्म के उदय से जीव स्थावर कहलाते है। स्थावर जीव एक स्पर्षन इन्द्रिय के द्वारा ही जानता, देखता, खाता है इसलिये उसे एकेन्द्रिय स्थावर जीव कहा है। इनके पाॅच भेद है- पृथिवीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय और वनस्पति काय।
तृतीय काल A type of particular time period (plentitude-cum-penury). सुषमा दुषमा काला, इसमें जघन्य भोगभूमि की व्यवरूथा होती है। , [[श्रेणी: शब्दकोष ]]