फेनमालिनी!
फेनमालिनी A Vibhanga river situated in western Videh (region). अपर विदेह स्थित एक विभंगा नदी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
फेनमालिनी A Vibhanga river situated in western Videh (region). अपर विदेह स्थित एक विभंगा नदी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मसाम्पराय शुद्धि संयत – Sukshmasaamparaaya Suddhi Samnyata. One with minute passions (towards purity). मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करने वाले जिस साधु के मात्र संज्वलन लोभ रूप सूक्ष्म कषाय शेष रह जाती है वह सूक्ष्म सांपराय संयत कहलाता है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्कन्ध : == द्विप्रदेशादय स्कन्धा: सूक्ष्मा वा बादरा: संस्थाना:। पृथिवीजलतेजोवायव:, स्वकपरिणामैर्जायन्ते।। —समणसुत्त : ६५३ द्विप्रदेशी आदि सारे सूक्ष्म और बादर (स्थूल) स्कनध अपने परिणमन के द्वारा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु के रूप में अनेक आकार वाले बन जाते हैं। अवगाढगाढनिचित: पुद्गलकायै: सर्वतो लोक:। सूक्ष्मैबार्दरैश्चाप्रायोग्यै:।। —समणसुत्त : ६५४ यह…
त्रियोग Vibration in the spaces of soul (due to activities of mind, speech and body). मन, वचन, काय के हलन चलन से आत्मा के प्रदेशों का सकम्प होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मकायिक जीव – Sukshamakaayika Jeeva. Micro organism, one-sensed beings etc. वे एकेन्द्रिय जीव जो सर्व लोक में व्याप्त हैं एवं जिनकी गति का जल-स्थल आदि के द्वारा प्रतिघात नहीं होता है अर्थात् जो न किसी को रोकते है ओर न किसी से रूकते (बाधित) है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायविनिश्चयविवरण – Nyaayvinischyavivrna. Name of a book. एक न्यायविविषयक ग्रंथ “
जयंतभट्ट Name of the writer of ‘Nyaya Manjari’. ई. ८४० के ‘न्याय मंजरी’ ग्रन्थ के कर्ता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुषमादुषमा काल – Sushamaa-Dushamaa Kaala. Pleasant & sorrowful long period of woridily cycle ( the 3nd of Avasarpini Kal & the 4th of Utsarpini Kal According to Jaina Philosoph) अवसर्पिणी के तृतीय काल और उत्सर्पिणी के चतुर्थ काल का नाम । इसका काल 2 कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण है। इस समय जघन्य भोगभूमि रहती है,…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवविचय – Bhavavicaya. Right meditation on materialistic world or cycle of birth. सातवाँ धर्मध्यान; भव – संसार सदैव दुःख रूप ही है’ ऐसा चिंतन करना “
गोणसेन Name of a disciple of Siddhantdeva. सिद्धांत देव के शिष्य तथा अनंतवीर्य के गुरु थे, समय- ई.. ९६०-१००० ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]