आहारक शरीर बंध!
आहारक शरीर बंध A type of physique making karmic nature causing formation of translocational body (Aharak Sharir). आहारक शरीर बनने के लिये आहारक वर्गणाओं का परस्पर मिल जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आहारक शरीर बंध A type of physique making karmic nature causing formation of translocational body (Aharak Sharir). आहारक शरीर बनने के लिये आहारक वर्गणाओं का परस्पर मिल जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्द्वद – Nirdvanda. Unopposed, without dispute, Devoid of duality. संकल्प-विकल्प से रहित होना
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखधन – Mukhdhan. Something principal. आदि स्थान में जो प्रमाण या संख्या है वह मुखधन कहलाती है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्जर पंचमी व्रत – Nirjara Panchami Vrata. A particular type of vow (fasting). प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल 5 से लेकर कार्तिक शुक्ल 5 तक की कुल 9 पंचमियों के उपवास 5 वर्ष पर्यन्त करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भास्कर वेदांत – Bhaskara Vedanta. A particular philosophy (“Everyone gets en- grossed into Brahma after death”). द्वैताद्वैत; संसार में जीव अनेक हैं किन्तु मुक्त होने पर सब ब्रम्ह में लीन हो जाते हैं ऐसा मानना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निराशा – Niraashaa. Hopelessness, disappointment, Dispondency,diepair. आशा रहितता “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववान् – Bhavavan. Something having volitional quality. परिणाम मात्र; परिणामी होने से सभी द्रव्य भाववान हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर कृति Sentence showing mutual contradiction. जो वाक्य मनुष्यों के कर्मो में परस्पर विरोध दिखावे उसे ’परकृति’ कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकीर्णक तारे – Prakirnaka Tare. Scattered stars. ज्योतिषी देवों का एक भेद, ये आकाश में बिखरे हुए रहते हैं और यह चर और अचर के भेद से दो प्रकार के होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकानुप्रेक्षा –Lokaanupreksha.: See –Loka Anupreksha. देखें –लोक अनुप्रेक्षा “