निर्वेगिनी कथा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वेगिनी कथा – Nirveginee kathaa. Story which produces feelings of asceticism or datachment. 4 धर्मकथाओं में एक कथा–संसार, शरीर और भोगों में वैराग्य को उत्पन्न करने वाली कथा ” अपरनाम-निर्वेजनी कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वेगिनी कथा – Nirveginee kathaa. Story which produces feelings of asceticism or datachment. 4 धर्मकथाओं में एक कथा–संसार, शरीर और भोगों में वैराग्य को उत्पन्न करने वाली कथा ” अपरनाम-निर्वेजनी कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रस निरपक्ष आहार – नीरस आहार, रसयुक्त अर्थात स्वादिश्ट भोजन आदि की अभिलाशा न करना। Rasa Nirapeksa (Ahara)-Devoid of the desire of tasty food
आविद्ध Whirling, Turning round with velocity. गति दिया हुआ या छिदा हुआ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बेलंधर – Belamdhara. Name of a ruling deity of Kaustubha- bhas mountains situated in Lavan ocean. लवण समुद्र स्थित कौस्तुभ व कौस्तुभाभास पर्वत के स्वामी देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यषोनंदी – नन्दीसंघ बलात्कर गण में यष कीर्ति ई 231 – 299 के षिश्य व देवनंदी के गुरू ई 289 – 336। Yasonamdi-Name of an Acharya of nandi Group
दक्षिण कल्प Southern part of Patals (levels) of all 16 heavens. 16 स्वर्गोंे के पटलों का दक्षिणी भाग। जहाँ दक्षिण दिशा के इन्द्रों का निवास होता है। जैसे – सौधर्म इन्द्र, सानत्कुमार इन्द्र आदि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्विकल्पता – Nirvikalpataa. State of unconfusedness, without perplexity. विकल्पों से रहित रहना “
देववंदना Trikal (three times a day) Samayik (act of procedural adoration to Lord Arihant). त्रैकालिक सामायिक में विधिपूर्वक चैत्य व पंचगुरूभक्ति सहित वंदना करने को देववंदना कहते हैं । श्री वसुनंदि आचार्य की मुलाचार टीका के अनुसार , ‘‘सामाइय’’ नाम भवति। जीवितमरणलाभसंयोगविप्रयोग बन्ध्वरिसुखदुःखादिषु यदेतत्समत्वं समानपरिणामः त्रिकालदेववंदनाकरणं च तत्सामायिकं व्रतं भवति।’’ अर्थात् ‘‘ जीवन-मरण, लाभ –…
आलय विज्ञान Architecture (as a science), House construction concept. वास्तु विज्ञान आवास निवास विज्ञान।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वाण संवत् – Nirvaana Samvat. The era of salvation of Lord. भगवन के निर्वाण का समय-कल अर्थात् वर्ष ” वर्तमान में भगवन महावीर के निर्वाण के समय से प्रारंभ ‘वीर निर्वाण संवत्’ सर्वाधिक प्राचीन संवत्के रूप में प्रचलित है ” वर्तमान सन् 2003-2004 में वी.नि.सं. 2530 चल रहा है “