तीर्थंकर पंचकल्याणक तीर्थ वर्तमान युग में २४ तीर्थंकर भगवन्तों के पाँचोें कल्याणकों से पवित्र अनेकों तीर्थ हैं, जिनमें १६ जन्मभूमियाँ- १ दीक्षाभूमि, ३ केवलज्ञानभूमि एवं ५ निर्वाणभूमियाँ हैं। दीक्षाभूमि १ एवं केवलज्ञान भूमि ३ होने का कारण यह है कि अधिकांश तीर्थंकरों के उन-उनकी जन्मभूमि में ही दीक्षा एवं केवलज्ञानकल्याणक हुए हैं। यहाँ सर्वप्रथम २४…
वैज्ञानिको की महान खोज : सर्वश्रेष्ठ आहार-शाकाहार शाक’ शब्द संस्कृत की ‘शक्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है योग्य होना, समर्थ होना, सहज करना । शक् धातु से शक्नोति इत्यादि शब्द बने हैं। शाक शब्द का अर्थ है-बल, पराक्रम, शक्ति एवं शक्त के मायने हैं -योग्य, लायक, ताकतवर। इस तरह शाकाहार का वाच्यार्थ हुआ…
न्यायदीपिका सार (१) सामान्य प्रकाशमंगलाचरण श्री वर्धमानमर्हन्तं नत्वा बालप्रबुद्धये। विरच्यते मितस्पष्टसन्दर्भ-न्यायदीपिका।।१।। अन्तरंग केवलज्ञानादि रूप और बाह्य समवशरण आदि रूप लक्ष्मी से युक्त श्री वर्धमान भगवान को नमस्कार करके जो व्याकरण, काव्य, कोष, छंद, अलंकार आदि अनेक ग्रंथों में प्रवीण हैं परन्तु ‘‘न्यायशास्त्र’’ में अनभिज्ञ हैं उनको न्यायशास्त्र में प्रवेश कराने के लिए मैं धर्मभूषण यति…
”दिशाएँ बदल देती हैं दशा” वास्तु शास्त्र में दिशाओं को भी सुदृढ़ तर्कों के आधार पर धर्म से जोड़ा गया है। इन सभी दिशाओं की अपनी विशेषता और महत्त्व है। उदाहरणार्थ—पूर्व दिशा से सूर्य उदित होता है अत: सूर्योपासना में पूर्व का महत्त्व है। वास्तु शास्त्र में सूर्य की जीवनदायिनी ऊर्जा के कारण ही…