नंदीश्वर द्वीप मध्यलोक के असंख्यात द्वीपों में आठवां द्वीप है, वहाँ मनुष्य तो जा नहीं सकते अत: चारों निकाय के देवगण वहाँ जाते और पूजा आदि करते है”
नंदीश्वरद्वीप में क्या-क्या है ? (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी से हुई सैद्धांतिक वार्ता) चन्दनामती- पूज्य माताजी! वंदामि, मैं नंदीश्वर द्वीप के बारे में आपसे कुछ प्रश्न करना चाहती हूँ। श्री ज्ञानमती माताजी- पूछो, मैं आगम के आधार से नंदीश्वरद्वीप के बारे में बताऊँगी। चन्दनामती- प्रत्येक अष्टान्हिका पर्व में लोग नंदीश्वर द्वीप की पूजा करते देखे…
स्याद्वाद के सात भंग और आधुनिक विज्ञान अनिल जैन’ सारांश दार्शनिक विषयों के विवेचन में अनेक विषय इस प्रकार के उपस्थित होते हैं जब निश्चय पूर्वक ‘हाँ’ या ‘ना’ में कथन करना संभव नहीं होता है। ईसा पूर्व की शताब्दियों से ही जैन एवं जैनेतर आचार्यों के सम्मुख इसके कथन की पद्धति रही है, किन्तु…
भगवान शांतिनाथ नाटिका – बारह भव राजा श्रीषेण-प्रथम भव मलयदेश का रत्नसंचयपुर नगर है जहाँ न्यायनीति में निपुण, सत्यनिष्ठ, धर्मनिष्ठ, पात्रदान एवं गुरुभक्ति में तत्पर सदाचारी एवं विवेकी राजा श्रीषेण राज्य करता था। उसकी लावण्यमयी एवं रूपवती दो रानियाँ थीं- सिंहनिन्दिता एवं अनिन्दिता। राजा सुखपूर्वक उन रानियों के साथ अपना समय व्यतीत कर रहे थे।…