आत्मा परिणमनशील है!
आत्मा परिणमनशील है परिणमदि जेण दव्वं तक्कालं तम्मय त्ति पण्णत्तं।तम्हा धम्मपरिणदो आदा धम्मो मुणेयव्वो।।८।।जिस काल द्रव्य जिन भावों से, परिणमन करे उस काल सही।तन्मय हो जाता द्रव्य अहो! उस काल कहा उस रूप सही।।इस हेतु धर्म से परिणत हो, आत्मा ही धर्म कहा जाता।अग्नी से तप कर लोह पिंड, जैसे अग्नीमय हो जाता।।८।। अर्थ-यह…